छोटू सपेरे की मोनी

नागपंचमी के दिन घाट पर कुछ अंधे बैठे थे। सामने कथरी बिछाये। गंगा नहा आते लोग अपनी श्रद्धा वश कुछ अन्न या पैसा उनकी कथरी पर गिराते जा रहे थे।

उन्ही के पास बैठा था एक लड़का। पैंट-बुशशर्ट पहने। कई दिनों से न नहाने से उलझे बाल। बीन और सांप रखने वाली मोनी (बांस की तीलियो से बना गोल डिब्बा) लिये। सामने कथरी पर कुछ पैसे और कुछ अनाज था। हमें देख कर बोला – नागराज भला करेंगे। दीजिये उनके लिये।

अच्छा, दिखाओ जरा नाग।

यह सुन कर वह कसर मसर करने लगा। बोला – बहुत बड़ा है। मेरी पत्नीजी के पुन: कहने पर बोला – बहुत बड़ा बा (सांप), (मोनी) खोले पर हबक क हथवा पकड़िले तब!?

वह डर रहा था। मैने कहा – अच्छा बीन बजाओ। फेफडों में खूब हवा भर कर वह अच्छी बीन बजाने लगा। मानो सांप न दिखा पाने की कसर बीन बजाने में पूरी कर रहा हो। एक छोटी सी फिल्म उतार ली मैने। उसे रोका। पत्नीजी ने पांच रुपये दिये उसे।

रुपये देने के बाद सांप दिखाने का फिर आग्रह। एक दर्शक ने ललकारा – दिखा बे!

हंथवा पकल्ले तब?

चल, थोड़ी झांकी तो दिखा, पता चले कितना बड़ा है।

उसने डरते डरते मोनी थोड़ी सी खोली। सांप बड़ा था, कुंडली मारे। दर्शक महोदय को लगा कि कहीं सांप अनियंत्रित हो निकल न पड़े। सो बोले – बन्द कल्ले बे!

सांस में सांस आई। उसकी भी और हमारी भी। उसने झट से मोनी बन्द कर दी।

चलते चलते मैने उसका नाम पूछा। उसने बताया – छोटू।

अभी तो शायद घर से मोनी-बीन चुरा कर भाग कर घाट पर बैठा हो, पर एक दो साल में छोटू सांप खोल कर बीन की लहर पर नचाने में सक्षम हो जायेगा। या वह कोई और काम करेगा? आप कयास लगायें!   


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

15 thoughts on “छोटू सपेरे की मोनी

  1. सार्थक लेखन के लिये आभार एवं “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।http://umraquaidi.blogspot.com/आपका शुभचिन्तक“उम्र कैदी”

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  2. यही ठीक है कि दोनों ही आजाद हों -नागराज उसकी कैद से और वह अपनी निर्भरता से !

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  3. स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ…!

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  4. दोनो एक दूसरे का भविष्य डसे बैठे हैं। बिना दिखाये वो तो कमा लिया था, अब तो साँप अन्दर पड़े पड़े अपना साँपत्व भूल जायेगा और छोटू बीन के स्वर के अतिरिक्त सभी स्वर।

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  5. सौ दिन बडकौ के तो एक दिन छोटू का… आखिर नाग पंचमी जो है…:)

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