आज सवेरे मन्दिर के गलियारे में शंकर-पार्वती की कच्ची मिट्टी की प्रतिमायें और उनके श्रृंगार का सस्तौआ सामान ले कर फुटपाथिया बैठा था। अच्छा लगा कि प्रतिमायें कच्ची मिट्टी की थीं – बिना रंग रोगन के। विसर्जन में गंगाजल को और प्रदूषित नहीं करेंगी।
गंगाजी में लोग लुगाई नहा रहे थे। पानी काफी है वहां। मन्दिर में दर्शन के बाद एक दम्पति लौट रहे थे। औरत, आदमी और बच्चा। एक बकरी पछिया लियी। बच्चा बोला – “बकरी मम्मी”! पर मम्मी ने मोटरसाइकल पर पीछे बैठते हुये कहा – “गोट बेटा”।
गोटमाइज हो रहा है भारत!
आज तीज-ईद-गणेश चतुर्थी मुबारक!
हम में से अधिकतर बच्चों के सिर्फ अंगरेजी ज्ञान से संतुष्ट नहीं होते बल्कि उसकी फर्राटा अंगरेजी पर पहले चमत्कृत फिर गौरवान्वित होते हैं. चैत-बैसाख की कौन कहे हफ्ते के सात दिनों के नाम और 1 से 100 तक की क्या 20 तक की गिनती पूछने पर बच्चा कहता है, क्या पापा…, पत्नी कहती है आप भी तो… और हम अपनी 'दकियानूसी' पर झेंप जाते हैं. आगे क्या कहूं.
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गोटमाइज..:):)
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