जकड़े हुये राणा प्रताप


एक समय था, जब शहरों में चिड़ियां और कौव्वे बहुतायत से थे और चौराहे पर लगी मूर्तियां उनकी बीट से गंदी हुआ करती थीं। अन्यथा उनको इज्जत बक्शी जाती थी।

अब चिड़ियां कव्वे गायब हो गये हैं। सो बीट की समस्या कम हो गई है। पर इज्जत-फिज्जत भी गायब हो गई है। उसका स्थान ले लिया है शुद्ध छुद्र राजनीति ने।

Rana Pratap
राजनीति के बन्दनवार में जकड़े राणा प्रताप

यह देखिये राणा प्रताप और उनका घोड़ा चेतक। बसपा के बन्दनवारों से जकड़ा है। प्रमुख चौराहे की प्राइम लोकेशन कबाड़े बैठे हैं राणा प्रताप। उसमें हिस्सा राजनीति नहीं मांगेगी तो कौन मांगेगा?

कुछ दिन पहले नेताजी सुभाष चौराहे (सिविल लाइंस) पर नेता जी को हर ओर से छेंक रहे थे कांग्रेस पार्टी के बैनर-पोस्टर। उनके राष्ट्रीय नेता आ रहे थे इलाहाबाद में। लिहाजा नेताजी को सुभाष चौराहे के मध्य का प्राइम व्यू उनके आगमनार्थ दे कर अपने को बैकग्राउण्ड में करना पड़ा।

नेताजी और राणा प्रताप आये दिन यूंही नजियाये (nudge)/कोहनियाये जाते हैं। वे जिन्दा होते तो हाई कोर्ट में दरख्वास्त देते कि उनकी मूर्ति हटा दी जाये, जिससे उनकी फजीहत न हो!


राणा प्रताप, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गांधी, राम, कृष्ण, शिव, हिमालाय, गंगा, नर्मदा … ये सब हमारे लिये हीरो हैं और हमारी संस्कृति के आइकॉन। सब को लतगर्द कर रहे हैं लोग सरे आम। इनके नाम पर बहुत राजनीति कर सकते हैं सभी। पर इनके प्रति सही इज्जत गायब है। तभी हमारी सभ्यता-संस्कृति को खतरा है और क्षरण हो रहा है वातावरण-पर्यावरण का भी!

हाय! :(


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

30 thoughts on “जकड़े हुये राणा प्रताप

  1. बात गंदगी तक रहे तो भी ठीक है। आगे बढ कर कभी हरी झंडी , लाल झंडी, भगवा झंडी …. लगाने की बात पर दंगे हो जाते हैं:(

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    1. भारत सब कुछ सह लेता है, बुता गया है। :)
      (शब्द है कि आग जब शांत होती है तो बुता गई कही जाती है!)

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  2. “With increasing hopelessness of Govt, it is increasingly hopeless to blame the Govt. The people are to be blamed!”

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  3. BEFORE INSTALLING SUCH STATUES AND AFTER INSTALLING SUCH STATUES. IT IS NOT THE DUTY OF ONLY THE GOVT. WE ALL USE ONLY THEIR NAME FOR IDENTIFICATION IN OUR ADDRESSES. THOSE WHO ARE USING IT FOR POSTERS ETC. THEY ARE CITIZENS OF FREE INDIA 7 U KNOW IN INDIA FREEDOM MEAN “MANMANI” “JACK IN THE POLITICS”, “PERMISSION OF FRAUDS”, FOR VOTE POLISING AND SALUTING SUCH STATUES.
    SO, WE ALL HAVE TO STOP INSTALLING STATUES BUT WE MUST ACT ACCORDING TO THEIR EXPECTATIONS.

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  4. संस्कृति के ये आइकॉन हर चौराहे पर बिठा दिए गए है तो सिर्फ इसी छुद्र राजनीति की वजह से ही .

    अब से २० साल बाद नयी आइकॉन BMW (कार नहीं Bबहन Mमाया Wवती ) हर चौराहे पर खड़ी मिलेंगी ….. शुरुआत तो उन्होंने खुद कर ही दी है !

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