जवाहिर लाल को सर्पदंश

आज बहुत दिनों बाद – लगभग दो-तीन हफ्ते बाद – गंगा तट पर सवेरे गया। ठण्डी हवा तेज थी और गंगाजल में लहरें भी किनारे से टकराती तेज आवाज कर रही थीं। नहाने वाले आठ दस लोग थे। नदी में पानी बढ़ा हुआ था – दूर दूसरे किनारे पर कई वृक्ष जलमग्न दीख रहे थे। उनकी चोटियां भर दीख रही थीं मानो वे झाड़ियां हों या स्थिर जलकुम्भी।

घाट की सीढ़ियों की मुण्डेर पर बैठी बकरियाँ। सामने हैं गंगामाई।

घाट की सीढ़ियों के पास की दीवार पर काली बकरियां बैठे थीं। एक काला कुकुर भी बदन खुजा रहा था। पर इन जीवों का मित्र जवाहिर लाल वहां नहीं था।

पण्डा अपनी चौकी पर बैठे किसी जजमान से संकल्प करा कर दान लेने का उपक्रम पूरा करा चुके थे। उसके बाद वे अखबार के पन्ने पलट रहे थे। मैने बिना दुआ सलाम के उनसे पूछा – जवाहिर नहीं दिख रहा। आजकल नहीं आता क्या?

वह अपने घर गया है। उसका घर है – यह मेरे लिये खबर थी। तिखार पर पूछा तो पण्डाजी ने बताया कि पन्द्रह दिन पहले यहीं किसी कोटर में हाथ डाल दिया था उसने। सांप था वहां। उसने काट खाया तो लोग उसे बेली अस्पताल में भर्ती कराये। खबर पाने पर उसके कुछ रिश्तेदार मछलीशहर से आये और ले गये। कुछ दिन पहले पांड़ेजी (?) के पास उसका फोन आया था कि अब वह ठीक है।

जवाहिर लाल शिवकुटी घाट के परिदृष्य का अनिवार्य तत्व है। मैं कामना करता हूं कि वह जल्द स्वस्थ हो और यहां वापस लौटे – उसके मित्र कुकुर, सूअर, बकरी आदि ही नहीं, मेरे जैसे ब्लॉगर भी बाट जोह रहे हैं।

आव जवाहिर!

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

28 thoughts on “जवाहिर लाल को सर्पदंश

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: