आज अग्रहायण (अगहन) मास का अंतिम दिन है। पूर्णिमा। आज पूर्ण चन्द्रग्रहण भी है जो इलाहाबाद में पूरा नहीं दिखेगा। शायद मालवा – इन्दौर, उज्जैन में दिखे।
कल से पौष मास प्रारम्भ होगा। पूस काना टूस। पूस में शादियाँ नहीं होती थीं। अब तो पण्डिज्जी लोग जब मन आये, शादियां करा दे रहे हैं। अत: पूस के दिन भी सुधर जायेंगे! 😆
शिवकुटी घाट का आज सवेरे सवा दस बजे जायजा लिया। कोहरा न होने और धूप निकलने से साफ दीख रहा था। धूप से बचने को पण्डा जी छतरी लगाये थे। कल्लू के खेत की सरसों, मटर के पौधे बड़े हो गये थे। हरे भरे दीखने लगे थे। कछार में और भी खेती करने वाले अपने अपने काम पर लगे थे। पप्पू अपनी भैंसें हांकने के लिये एक ओर खड़ा था और कहे जा रहा था कि खेत की बाड़ के चक्कर में बबूल का हरा भरा पेड़ काट डाला लोगों ने। वैसे अगर उसे जरूरत होती और वह खेती कर रहा होता तो वह भी यही करता।
घाट पर औरतें आदमी नहा रहे थे। आज देर से भी नहा कर पण्डाजी के पास संकल्प को आयेंगे लोग। इसी लिये घाट पर छतरी लगाये बैठे थे पण्डा जी। सामान्यत: अब तक जा चुके होते अपने घर, अपनी सामग्री की गठरी कान्धे पर रखे।
बकरियाँ, भैंसें, कुकुर और काम धाम में लगे लोग थे। गंगाजी अपनी चाल से बहती जा रही थीं। इस बार इस पार कृपा कर बहुत सी कछारी उर्वर जमीन छोड़ दी है उन्होने। पता नहीं लोग कृतज्ञ महसूस करते हैं या नहीं। पर उनके घाट पर कचरा फैंकने की आदत से लगता है कि लोग अपनी माई को तो मान कर ही चलते हैं कि कैसे भी रखें माई माई ही रहेंगी।
हजारिका याद आते हैं – ओ गंगा बहती हो क्यूं।
[ चित्र लिया मैने और उससे एक ठीक ठाक ब्लॉग हेडर बन गया! ]
चाय की गुमटी खोल मत लीजिएगा। घर फूँक तमाशा देखनेवाली बात हो जाएगी। इलाहाबाद में पण्डों की ही नहीं, ब्लागियों की भी भरमार है। बैरागी बना देंगे सब आपको – मुफ्त की चाय पी-पी कर।
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हम तो यहां पार्क में घूम रहेथे तो अचानक नजर के ऊपर जाते ही टूटा फूटा सा चांद दिखा एक बार तो धक से रह गई पर बाद में याद आया आज चंद्र ग्रहण है । काहे चाय बेच कर किसी और के पेट को लतियायेंगे आपकी तो रेलवाई ठीक है ।
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शनीवार को मैं भी इलाहाबाद में था। बस सुबह 7 बजे पहुँच गई तो संगम तट पर चला गया नाव लेकर। साईबेरियन पक्षी को दाना खिलाया और नाव में ही बैठकर नाश्ता किया। आनंद आ गया। आपकी याद आ रही थी। यह शिवकुटी कहां है?
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यह है शिवकुटी का गूगल मैप्स का पेज: –
http://www.google.com/maps/place?cid=11166716045883116222
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हैडर बेहतरीन बन गया है…
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लोग अपनी माई को तो मान कर ही चलते हैं कि कैसे भी रखें माई माई ही रहेंगी।
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