मण्डुआडीह के स्टेशन मैनेजर हैं श्री सीपी सिंह। उन्हें कहीं से आम्रपाली संकर प्रजाति के आम के बिरवे मिले। उनमें से चार उन्होने मुझे भेजे। शायद मेरी पत्नीजी ने बहुत पहले उनसे अनुरोध कर रखा था इस विषय में।
मुझे नहीं मालुम था कि आम्रपाली एक बौनी प्रजाति है आम की। अन्यथा आम तो ६०-१०० फीट की छतरी वाले होते हैं। आम्रपाली सम्भवत: ४-६ फीट के घेरे में एक झाड़ी के आकार का वृक्ष होता है। इसी लिये मेरे घर के छोटे से बगीचे में चार पौधे लग गये हैं। उनको लगाने के लिये कल मेरे घर में बहुत सनसनी रही। शाम को घर आ कर देखा तो उनके लिये सूखा गोबर भी लाया गया था – उनकी जड़ों के आसपास मिट्टी के साथ मिलाने के लिये।

आम्रपाली सत्तर के दशक के पूर्वार्ध में नीलम (पुंकेसर) और दशहरी (स्त्रीकेसर) के संकर से तैयार की गयी प्रजाति है। इसके आम दशहरी से छोटे पर मीठे और रेशे रहित होते हैं। श्री सीपी सिंह ने बताया कि उनके घर में एक साल बाद ही फल आने लगे थे – यद्यपि उन्होने दूसरे साल वाली खेप का की प्रयोग किया था।
एक दूसरी प्रजाति – मल्लिका भी है जो नीलम के स्त्रीकेसर और दशहरी के पुंकेसर से तैयार की गयी है। पर मल्लिका शायद उतना छोटा पेड़ नहीं है, जितना आम्रपाली।
मेरे छोटे से घर में नीम और कटहल पहले से थे। अब आम की यह प्रजाति भी आ गयी है, उनकी संगत करने!
समूचे पाण्डेय परिवार को इस नए सदस्य के आगमन पर बधाइयॉं।
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झाड़ी अच्छे से जम जाने पर किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर नीम और आम्रपाली की संकर प्रजाति का प्रयोग भी करवा देखियेगा, ’निम्रपाली।’ शायद आम का स्वाद और नीम के गुण एक साथ हो जायें। वैसे बर्नाड-शॉ ऐसे सुझाव पर सीधे से न कह देते 🙂
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बधाई हो! आम फ़लें-फ़ूलें। खाये जायें-खिलाये जायें।
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बधाई हो! आम फ़ले-फ़ूले। खाये-खिलाये जायें।
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शुभकामनायें!
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आम्रपाली : एक बौना आम का पेड़
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मेरे यहाँ भी आम्रपाली है . इसकी अमिया की चटनी गर्मी में स्वाद देगी
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अब इसके फल देखने की प्रतीक्षा है..
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aapka bagaan dhani evam khushhaal ho gaya jab inki sankhya badhi … nai khabar ko padhkar achchha laga.. shukriya, sir.. aise hi jaari rakhiye, sir.
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क्या बात है? नीम और कटहल के साथ आम्रपाली। साल भर में फल जाए तो अगले साल इस के स्वाद का विवरण जानने का इंतजार करते हैं।
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