झुलाओ मेरी सजनी, श्याम पड़े पलना

झुलाओ मेरी सजनी, श्याम पड़े पलना। गंगाजी के तट पर स्त्रियों का कृष्ण जी को जगाने का अनुष्ठान।

अक्तूबर ३०’२०१२: 

दो स्त्रियां यह गीत गाते हुये एक अंगोछे में कुछ (बाल कृष्ण का प्रतीक) झुला रही थीं गंगा किनारे। कोहरा बहुत था। इक्का दुक्का लोग थे स्नान करने वाले गंगा जी के शिवकुटी घाट पर। उनका यह झुलाना और गायन बहुत अच्छा लगा मुझे। पर यह समझ नहीं आया कि ऐसा कर क्यों रही थीं वे।

सवेरे की सैर से वापस लौट रहा था तो वही स्त्रियां पण्डाजी के पास संकल्प करती मिल गयीं। उन्होने जब अपना अनुष्ठान पूरा कर लिया तब मैने अपने कैमरे में उनका वीडियो दिखाते हुये उनसे पूछा – आप लोग यह क्या कर रही थीं?

अच्छा, आपको इतना पसन्द आया कि आपने फोटो ले लिया!! हम कातिक (कार्तिक) माह में कृष्ण जी को जगा रही थीं।

स्नान और कृष्ण जी को “झुलाने” के बाद संकल्प कर दान करती स्त्रियां।

पण्डाजी ने इण्टरजेक्ट किया – आपने बलुआ घाट (जमुनाजी का इलाहाबाद में घाट) नहीं देखा? वहां जा कर देखिये। पूरे कार्तिक मास में कृष्ण जी के अनुष्ठान होते हैं। बहुत टेण्ट-तम्बू लगते हैं वहां। एकादशी के दिन कृष्ण जागते हैं। उसके बाद उनका तुलसी विवाह होता है इसी महीने में। इस साल आप चौबीस नवम्बर को वहां जाईये। देवोत्थानी एकादशी के दिन वहां मेला लगेगा। तुलसी विवाह होगा।

कार्तिक के महीने में देवता जगाये जाते हैं। देवप्रबोधिनी एकादशी (शुक्लपक्ष की एकादशी) के दिन भगवान विष्णु अपनी शेष शय्या से जागते हैं, चार मास की निद्रा के पश्चात। उनका विष्णु (या शालिग्राम या कृष्ण) के रूप में तुलसी (विष्णुप्रिया या वृन्दा) से उसी दिन एक या दो दिन बाद (अलग अलग स्थानों की अलग परम्परा है) विवाह होता है। तुलसी विवाह के साथ शुभ कर्म (विवाह आदि) प्रारम्भ हो जाते हैं। … वे महिलायें शालिग्राम या कृष्ण को जगा रही थीं! 

मेरे टैंक-वैगन नियंत्रक श्री पंकज मालवीय ने बताया कि स्त्रियां जिन्हें बच्चे की चाह होती है, यमुना जी की मिट्टी से बाल कृष्ण की प्रतिमा बना कर उसे झुलाती-सुलाती-जगाती हैं। अन्तत: यमुना में विसर्जित करती हैं। यह भी एक प्रकार की भक्ति-साधना है! 

मैने देखा – प्रसन्नमन थीं वे स्त्रियां। बाद में मालिन के पास बैठ कर कोई दूसरा गीत गा रही थीं।

कार्तिक आ गया है। जागिये कृष्ण। जागिये देवतागण!

[आप देखिये नीचे वीडियो में उन महिलाओं के गंगा किनारे गायन का एक अंश]

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

5 thoughts on “झुलाओ मेरी सजनी, श्याम पड़े पलना

  1. अच्छा फोटो/वीडियो है। देखे पहले ही थे। बता आज रहे हैं।

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  2. yamunaa ki mittee se krishna bhagavaan ki moorti banaanaa ,jhooleme jhulaanaa santanki praaptiki praardhanaa karanaa is rivaaj ke baareme mujhe bilkul jaankaaree naheehai.
    hamaaraa dhanya vaad sweekaar keejie.
    T.jnana prasuna , hyderaabaad,a.ndhra pradesh

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