राधेश्याम पटेल; ऊंटवाला

कछार में ऊंट
कछार में ऊंट

दूर ऊंट जा रहा था। साथ में था ऊंटवाला। मैने पण्डाजी से पूछा – यह किस लिये जा रहा है ऊंट? इस समय तो कछार में लादने के लिये कुछ है नहीं। सब्जियां तो खत्म हो चली हैं।

“वह एक कुनबी का ऊंट है। घास छीलने जा रहा होगा वह। एक दो घण्टा घास इकठ्ठा करेगा। फिर ऊंट पर लाद कर ले जायेगा। उसकी बीवी भी है साथ में। दोनो छीलेंगे। रोज ऐसा करते हैं। ऊंट को खाने के लिये तो चाहिये…” पण्डाजी ने बताया।

अच्छा, तो जरा उसे देख आऊं। ऊंटवाला रमबगिया के पास रुक गया था। उसकी पत्नी घास का निरीक्षण करने लगी थी और वह ऊंट को बांधने की जगह तलाश रहा था।

मैने उसके पास पंहुच कर वार्तालाप खोला – क्या लादने जा रहे हैं ऊंट पर?

लादेंगे क्या? खेती खतम! काम खतम!

तब?

घास छील कर ले जायेंगे। यह ऊंट है। और भैंसे हैं, गाय हैं; उनके लिये चाहिये।

कितने गोरू हैं?

चार भैसें हैं दो गायें। परसाल दो भैसें, एक गाय और सात रोज की एक बछिया कोई खोल ले गया था। बड़ा नुक्सान हुआ। समझो कि एक लाख से ज्यादा का नुक्सान। उसने स्वत: बताया।

अच्छा, इस ऊंट को क्या नाम से बुलाते हो?

राधेश्याम पटेल और उनका ऊंट
राधेश्याम पटेल और उनका ऊंट

ऊंट का क्या नाम?! बस ऊंट है। सात साल पहले बच्चा था, तब खरीदा था मेले में। बहुत भोला भाला है। सो भोला कहता हूं।

अब काम क्या मिलेगा ऊंट को?

अब क्या काम?! ऐसे ही रहेगा। कछार में जब खेती फिर शुरू होगी, तब काम मिलेगा। समझो तो कुआर-कातिक से।

चलिये, जरा ऊंट की आपके साथ फोटो खींच लूं?

आऊ रे! तोर फ़ोटो खेंचाये। ऊटवाले ने ऊंट की नकेल खींच कर अपने पास किया। फिर दोनो नें एक दो पोज दिये।

मैने चलते चलते ऊंटवाले का नाम पूंछा। बताया – राधेश्याम पटेल।

राधेश्याम पटेल ऊंटवाला। 

[बोधिसत्व ने कहा कि शब्द होना चाहिये उंटहारा। शब्दकोष न ऊंटवाला दिखाता है, न उंटहारा। वह ऊंटवान दर्शित करता है।]

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

14 thoughts on “राधेश्याम पटेल; ऊंटवाला

  1. मवेशि‍यों की चोरी कि‍सी भी परि‍वार के लि‍ए बहुत दुखद होती है

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  2. पशुधन इस तरह चोरी चला जाना तो बहुत दुखद है, पटेल जी की पीड़ा समझ सकते हैं। ऊँट को भी कछार का आनन्द आ रहा होगा।

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  3. चलिए राधेश्याम जी से भी मुलाक़ात हो गई। ऊँट के इकोनोमिक्स के बारे में कुछ जानकारी तो ली ही होगी. चित्र के पृष्ठभूमि में कोने में छतरी से युक्त एक परकोटा सा दिख रहा है, क्या है।

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    1. यह रमबगिया है। रामदास टण्डन का उद्यान। कहते हैं फिल्मों की शूटिंग यहां हुआ करती थी। महल फिल्म की शूटिंग यहीं हुई। अभी भी भोजपुरी फिल्म वाले अपना तामझाम ले कर कभी कभी दीखते हैं यहां!

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  4. Dear Bhaiya
    Jaisa Bhola Unt
    Vaise Hee Aapka Likhane Ka Bhola Andaz.

    Unt Aur Radheshyam Dono Dhanya Huye.

    Untwali Nahin Dikhee.
    Regards
    Anand
    Sent from BlackBerry® on Airtel

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