जैसा सामान्य रूप से होता है, मेरे पास कहने को विशेष नहीं है। मिर्जापुर स्टेशन पर मैं नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस से उतरा था। मेरे साथ दो निरीक्षक, मिर्जापुर के स्टेशन मास्टर और तीन चार और लोग थे। वे साथ न होते तो मेरे पास देखने और लिखने को अधिक होता। अन्यथा अफसरी के तामझाम केContinue reading “छिउल के पत्ते”
