गंगा जी में सतत जलस्तर वृद्धि – 3 इंच प्रति घण्टा

आज सवेरे गंगा किनारे सवेरा देखा था। कल शाम को देखे स्तर से बढ़ी थीं। करीब दो सीढ़ियां शिवकुटी घाट की। फिर भी लहरें तेज नहीं थीं। इत्मीनान से बढ़ रही थीं गंगा माई। जहां घर जलमग्न हुये होंगे, वहां भले ही भय हो; घाट पर तो नित्य की तरह लोग नहान-पूजा कर रहे थे। मेरे जैसे कौतूहलवश आने वाले इतने ज्यादा नहीं थे।

कौतूहल वाले लोग आराम प्रेमी होते हैं – सवेरे इतनी जल्दी नहीं उठा करते।

आसमान साफ़ था। सवेरे का सूर्योदय चटक। अच्छा लग रहा था घाट पर। rps20130824_061625_376
मैं दोपहर में लगभग छ घण्टे बाद पुन: घाट पर गया – यह देखने के लिये कि जलस्तर में बढ़ाव हो रहा है या गंगाजी स्थिर हो गयी हैं। देखा कि लगभग एक हाथ भर जलस्तर बढ़ा है। कुल मिला कर 3 इंच प्रति घण्टा की दर से वृद्धि। सवेरे जो षटकोणीय चबूतरे का मात्र ऊपरी हिस्सा दिख रहा था, दोपहर में वह पानी में डूब चुका था। एक लड़का उस डूबे चबूतरे पर बैठा था। चार पांच वहां नहा रहे थे। उनमें से एक क्वासी-अश्लील भोजपुरी गीत गुनगुना रहा था। विशुद्ध यूपोरियन कस्बाई माहौल।Photo0030

एक महिला अपने दो नन्हे बच्चों को नहलाने लाई थी। छोटा कुछ महीने का था और बड़ा उससे इतना बड़ा, जितना मिनिमम अंतर पर हो सकता था। छोटा आनन्द ले रहा था नहाने का। उसकी मां ने उसे उठा कर गले तक जल में तीन बार डुबोया। उससे उसका एक दशक से आये रिकार्ड स्तर के गंगाजल में स्नान पूरा हुआ। पता नहीं आगे चल कर उसे यह याद भी दिलायेगा कोई कि यह एक ऐतिहासिक दिन था उसकी जिन्दगी में।

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एक गली में जा कर शिवकुटी घाट को दूर से देखा मैने – सब ओर जल ही जल। पता नहीं ऐसा दृष्य फिर कब देखने को लहे। दोपहर की धूप में चित्र अच्छा तो नहीं आया मोबाइल कैमरे से; पर कौन सा उसे किसी फोटोग्राफी कम्पीटीशन में जाना है। इसी ब्लॉग पर ही तो लगना है!  :lol:

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

6 thoughts on “गंगा जी में सतत जलस्तर वृद्धि – 3 इंच प्रति घण्टा

  1. नज़र रखिये गंगा जी पर । हमारे यहाँ गंगा इतनी बिकराल नहीं

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  2. श्री पांडे जी ,
    प्रणाम ,
    वैसे इलाहाबाद की गंगा और यमुना में पिछले दस वर्षों से मैंने इत्ता पानी नही देखा |अत्यन्त रोचक लेखन |

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