चन्द्रिका इस घर में मुझे आते ही मिला था। सवेरे बंगले को बुहारता है और क्यारियों में काम करता है। उससे कह दिया था कि कुछ सब्जियां लगा दे। तो आज पाया कि लौकी, करेला, नेनुआं, खीरा आदि लगा दिये हैं। बेलें फैलने लगी हैं। चन्द्रिका के अनुसार लगभग दो सप्ताह में सब्जियां मिलने लगेंगी।

आज सवेरे चन्दिका फावड़ा चलाते दिख गया।
मैं उसे साथ ले कर बंगले में इधर उधर घूमने लगा। एक ओर लाल फूलों और काले मकोय जैसे बहुत से पौधे दीखे। मुझे लगा कि इनको क्यारी में कभी रोपा गया रहा होगा। पर चन्द्रिका ने बताया कि यह खरपतवार है। भटकुईंया कहते हैं इसे। कण्ट्रोल से कोई व्यक्ति आ कर इसके बारे में बताया था कि कोई दवाई बनती है इससे सूअर के लिये। सूअर के लिये भी दवाई होती है – यह मुझे नयी जानकारी थी।

भटकुईंया की बगल में बहुत झाड़ियां थीं। चन्द्रिका ने बताया कि वह भांग है। भांग में फूल भी आ रहे थे। मैने अनुमान लगाया कि यूंही पनप आये लगभग 30-40 पौधे होंगे। पता नहीं, भांग का यूं होना वैध है या अवैध। चन्द्रिका के अनुसार इनका कोई उपयोग नहीं है। यूंही उगते और खत्म हो जाते हैं।

एक विशालकाय पारिजात का वृक्ष था। काफी पुराना। उसके साथ पीपल भी गुंथा था। कुछ फूल झर रहे थे उससे। फल भी लगे थे। फल का भी पीस कर कोई औषधि के रूप में प्रयोग होता है। चन्द्रिका ने बताया कि जब झरते हैं तो नीचे की जमीन फूलों से पूरी बिछ जाती है।

“साहेब, पहले वाले साहेब मेंहदी लगाते थे बालों में” – चन्द्रिका ने बताया। मेंहदी की कई झाड़ियां दिखीं। फूल भी लगे थे मेंहदी में। फल भी आने वाले थे। उसकी पत्तियां, फूल, फल – सभी काम आते हैं रंग देने में।

रंग लाती है हिना, पत्थर पे पिस जाने के बाद!
और भी वनस्पतीय/जैव विविधता है मुझे मिले बंगले में। करीब एक एकड़ या डेढ़ बीघे में है यह बंगला। नाम सप्तगिरि। सप्तगिरि जैसा वैविध्य! आगे भी बताता रहेगा चन्द्रिका और आगे भी आता रहेगा ब्लॉग पर।

मिलते हैं एक ब्रेक के बाद! 😆
Today, I went to the beachfront with my children. I found a sea shell and gave
it to my 4 year old daughter and said “You can hear the ocean if you put this to your ear.” She puut the sshell to her ear and screamed.
There was a hermit crab inside and itt pinched her ear.
She never wants to go back! LoL I know this is completely off topic but I had to tell
someone!
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रेलवे की सर्विस के अपने ही मज़े हैं – और विभागों में इतना विविध-वर्णी परिवेश कहाँ मिलता है !
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सप्तगिरि का जैविक वैविध्य, एक नया अध्याय ब्लॉग में।
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वाह!! सप्तगिरि में बहुत ही वैविध्य है। चन्द्रिका पुरूष का नाम जानकर आश्चर्य हुआ। आगे जानना रसप्रद होगा।
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चंद्रिका से मिलकर प्रसन्नता हुई।
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भटकुईंया तो गजब लग रहा है. जिसे मेहंदी बता रहे हैं उन पेड़ों में मुझे आम लगे दिख रहे हैं. दृष्टिदोष होगा.
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उनके पीछे आम का वृक्ष है!
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A blog full of most lovely photos as full of detail before eyes
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कितना सुंदर विवरण और कितनी संजीव फोटुएं . लेख पढ़ कर घर की सुबह याद आ गई. शुक्रिया सर . More power to your pen.
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