मेरे पिताजी (श्री चिन्तामणि पाण्डेय) 81 के हुये 4 जुलाई को। चार जुलाई उनका असली जन्म दिन है भी या नहीं – कहा नहीं जा सकता। मेरी आजी उनके जन्म और उम्र के बारे में कहती थीं – अषाढ़ में भ रहें। (दिन और साल का याद नहीं उन्हें)। अब अषाढ़ई अषाढ़ होई गयेन्। (Continue reading “पिताजी और आजकल”
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इन्दारा, सप्तगिरि में
मेरे घर “सप्तगिरि” में आज पीछे की तरफ देखा। सेमल का विशालकाय वृक्ष है। उसके पास गूलर और बेल के पेड़ भी हैं। सेमल की छाया में एक इन्दारा है – कुंआ। अब परित्यक्त है। कुंये की गोलाई में ईंट लगी हैं। उन्ही के साथ है एक पीपल का वृक्ष। बहुत पुराने पन का अहसास।Continue reading “इन्दारा, सप्तगिरि में”
बंगला, वनस्पति और और चन्द्रिका
चन्द्रिका इस घर में मुझे आते ही मिला था। सवेरे बंगले को बुहारता है और क्यारियों में काम करता है। उससे कह दिया था कि कुछ सब्जियां लगा दे। तो आज पाया कि लौकी, करेला, नेनुआं, खीरा आदि लगा दिये हैं। बेलें फैलने लगी हैं। चन्द्रिका के अनुसार लगभग दो सप्ताह में सब्जियां मिलने लगेंगी।Continue reading “बंगला, वनस्पति और और चन्द्रिका”