बढ़नी का जलसा

बढ़नी में हुये समारोह का ब्रोशर
बढ़नी में हुये समारोह का ब्रोशर

बढ़नी पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मण्डल का स्टेशन एक है। वहां से नेपाल 150 कदम पर है। पिछले रविवार वहां जाना हुआ। शायद विदेश यात्रा का भी योग था, सो वहीं से पैदल नो-मैंस-लैण्ड डांक कर कृष्णनगर भी हो आया। कृष्णनगर नेपाल के कपिलवस्तु जिले का कस्बा है। बढ़नी का सीमा उस पार ट्विन-कस्बा। इस पार के सांसद महोदय की मानी जाये (आप चुटकी भर नहीं, टनों सॉल्ट के साथ मानें) तो बरास्ते कृष्णनगर हजारों नेपाली रोज भारत आते हैं और काम की खोज में दिल्ली, बम्बई, लुधियाना और कलकत्ता जाते हैं।

हमारे रेल राज्य मंत्री जी का बढ़नी का कार्यक्रम था। वहां रेलवे एक मल्टी-फंक्शनल-कॉम्प्लेक्स बनाने जा रही है। उसी का शिलान्यास मंत्री महोदय (श्री मनोज सिन्हा) करने जा रहे थे। कार्यक्रम लखनऊ रेल मण्डल का था। पर चूंकि मंत्रीजी गोरखपुर से बढ़नी जा रहे थे, हम विभागों के प्रमुखगण भी उनकी स्पेशल ट्रेन में चल रहे थे। उनको आग्रहपूर्वक लिवा ले जा रहे थे बढ़नी के भाजपाई सांसद श्री जगदम्बिका पाल। श्री पाल उत्तरप्रदेश के अत्यल्पकालिक मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं सन 1998 में। पिछले चुनाव के पहले, मार्च’14 में अपना कांग्रेसी चोला उतारकर वे भाजपाई बन गये। मोदी लहर में सब जीते; वे भी जीते डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र से। श्री पाल अपने संसदीय क्षेत्र के हर ठीकठाक स्टेशन पर जलसा करा कर मंत्रीजी से उनके क्षेत्र के लिये नयी ट्रेनों की मांग कर रहे थे। उनकी मांगों को सुनना राजनीति – विशेषकर पूर्वोत्तरीय उत्तरप्रदेश की राजनीति समझने में एक अध्याय था मेरे लिये।


पूर्वोत्तरीय उत्तरप्रदेश की गरीबी और पिछड़ेपन के मूल में जनता की (अ)कर्मठता नहीं है; यहां के नेतृत्व में जड़त्व है। वह कहीं गहरे में यह समझता है कि अगर प्रांत विकसित हो गया तो उन जैसे लोगों की सम्पन्नता का छद्म मॉडल भरभरा कर गिर पड़ेगा। रेलवे यहां से दिल्ली-बम्बई-कलकत्ता-लुधियाना के लिये सस्ते लेबर का फीडर बने – यह मांग दृढ़ता से रखी-मिली। पर रेलवे इस क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिये इनपुट्स का फीडर बने – उसकी मांग तो उठी ही नहीं। पूरे रास्ते उर्वर भूमि, प्रचुर जल और बच्चों-जवानों की विशाल आबादी देखी मैने। यह क्षेत्र डेवलपमेण्ट के लिये कसमसा रहा है और जो मांगें सुनने में आ रही थीं, उनका स्वरूप दो दशक पहले की मांगों जैसा ही है। उस प्रकार की मांगों को पूरा करने में रेलवे दो दशक पहले शायद ज्यादा सक्षम थी। अब उसे अपने से की जा रही अपेक्षाओं के विषय में  साफगोई का परिचय देना होगा। :-(


मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स 

इसके बारे में ब्रोशर में बताया गया कि नेपाल आने-जाने वाले यात्रियों के लिये दुकानें, फूड-कोर्ट, कमरे, डॉर्मेट्री आदि की आधुनिक सुविधा का निर्माण इस कॉम्प्लेक्स में होगा। 


बढ़नी में हमें लगभग 12 बजे पंहुचना था। पर रास्ते में कई जगह हुये जलसों में समय लगता गया। उतनी देरी की तो लोग अपेक्षा करते ही हैं। लगभग एक घण्टा बाद शुरू हुआ कार्यक्रम बढ़नी में और पूरी दक्षता से चला। एक वक्ता, जो पहले बोले, ने पाल जी की प्रशंसा में कहा कि भाजपा को अगले विधानसभा चुनाव मे श्री पाल को अपना मुख्यमंत्री घोषित करना चाहिये। उसके बाद श्री जगदम्बिका पाल बोले। वे अपने लम्बे भाषण में इलाके की मांगों की चर्चा करते और जनता से उसके समर्थक में हाथ उठवाते। शोर मचता, हाथ उठते और जो ज्यादा पक्के समर्थक थे, वे दोनो हाथ उठाते।

समारोह में बोलते श्री मनोज सिन्हा, रेल राज्यमंत्री
समारोह में बोलते श्री मनोज सिन्हा, रेल राज्यमंत्री

मंच ऊंचा बना था। उसके बांई ओर शिलान्यस पट्ट लगा था। उसका मंत्री महोदय ने रिमोट से उद्घाटन किया। तालियाँ। और फिर मंत्री महोदय का भाषण। श्री सिन्हा ने काले धन, व्यापक स्तर पर जनता के खुले बैंक अकाउण्ट्स, स्वच्छता अभियान, भारत का फूड सिक्यूरिटी पर दृढ़ पक्ष, भारत में निर्माण, डीजल-पेट्रोल के दामों में कमी आदि की चर्चा की। किसी न किसी प्रकार से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कर्मठता और उनके करिश्मे की चर्चा हो ही जा रही थी हर एक मुद्दे में। उन्होने बताया कि साल भर पहले वे सियेटल गये थे और हाल ही में शिकागो। वे सात महीने में परदेश में भारतीय लोगों के प्रति आदर में वृद्धि और भारत के प्रति बदली सोच को गहरे से नोटिस कर पाये। श्री सिन्हा ने रेलवे का परिदृष्य बदलने के संकल्प की भी बात कही। उन्होने श्री पाल की प्रशंसा और उनकी मांगों पर समुचित ध्यान देने की बात भी कही।

जलसा बहुत सफल रहा। मंत्री महोदय उसके तुरंत बाद डुमरियागंज के लिये रवाना हो गये। हम लोगों के पास समय था भोजन कर नेपाल में (लगभग 100-200 मीटर दूर) कृष्णनगर के बाजार का चक्कर लगाने का। उसके बारे में अन्य ब्लॉग पोस्ट में।

बढ़नी (भारत) और कृष्णनगर (नेपाल) के बीच यह नो-मेंस-लैण्ड। सामने नेपाल है। सुरक्षाकर्मी ने मुझे फोटो न खींचने की हिदायत दी। पर तब तक खींच चुका था मैं।
बढ़नी (भारत) और कृष्णनगर (नेपाल) के बीच यह नो-मेंस-लैण्ड। सामने नेपाल है। सुरक्षाकर्मी ने मुझे फोटो न खींचने की हिदायत दी। पर तब तक खींच चुका था मैं।

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

One thought on “बढ़नी का जलसा

  1. उर्वर भूमि, प्रचुर जल और बच्चों-जवानों की विशाल आबादी
    इस आबादी के सामने सभी संसाधन कम पड़ रहे हैं, बाकि जलसे हमेशा कामयाब बनवा दिए जाते हैं.. यही प्रबंधन कौशल है.

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