सुहानी मिश्र


एक-डेढ़ दशक पहले वह मेरा चेम्बर हुआ करता था – रतलाम रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल परिचालन प्रबन्धक का। आज मैं सामने की कुर्सी पर बैठा था। पहले से बेहतर था वह कमरा। सोफा, बदली हुई मेज और कम्प्यूटर आदि। सामने पदासीन थीं – सुहानी मिश्र। मेरे समय में एक दो महिला अधिकारी हुआ करतीContinue reading “सुहानी मिश्र”

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