मदन मोहन पाण्डेय, उम्र 93 वर्ष

पिछली बार मदन मोहन जी से मिला था एक महीना पहले। आज फिर मिलना हुआ। वे और उनकी पत्नीजी खटिया पर बैठे थे। दोनो ही नब्बे के पार होंगे (या पत्नीजी नब्बे के आस पास होंगी)। वे स्वयम तो 93+ हैं। नब्बे के पार की उम्र और चैतन्य! कुछ कृशकाय हो गये हैं पर कद काठी से फिदेल कास्त्रो से लगते हैं!

मदन मोहान जी कुछ साल पहले तक साइकिल चला लेते थे। उन्होने बताया कि साइकिल का प्रयोग यातायात के लिये किया उन्होने। व्यायाम के लिये नहीं। व्यायाम तो वे मुगदर, नाल आदि से करते थे। लाठी/गोजी चलाने की भी निपुणता थी उनमें। मुसलमानों से सीखी थी यह विद्या। एक बार तो अनेक लोगों को अपने हाथ और लाठी के बल पर पछाडा। उनपर गोली भी चला दी थी एक व्यक्ति ने पर वह मात्र उनके हाथ में लगी। दांई हथेली में वह गोली आज भी शरीर में है। … एक बार वे एक झगड़े के गवाह थे। उनकी गवाही पर पांच लोगों को उम्र कैद की सजा भी हुई।

अपने बचपन को याद करते हुये बताते हैं कि उनके जमाने में महराजगंज में प्राइमरी स्कूल था। एक स्कूल बाबूसराय में था। अब तो हर जगह स्कूल खुल गये हैं। वे केवल दूसरी कक्षा तक पढे। पढने में मन नहीं लगता था। घर से चना ले कर स्कूल के लिये रवाना होते थे। स्कूल जाने की बजाय भुंजवा के यहां चना भुनवाते, बगीचे में बैठ कर चबाते और स्कूल का समय खत्म होने पर घर आ जाते थे। मार भी खाये पर पढ़े नहीं।

कलकत्ता में मदन मोहन जी 15 साल रहे। पहले ट्रक चलाया। अपना ट्रक। असम/गुवाहाटी तक हो आये। कलकत्ता से शाम को चलते थे और सवेरे तक इलाहाबाद/बनारस पंहुचते थे। ट्रक के बाद कलकत्ता में और भी काम किया उन्होने।

साइकिल खूब चलाई है उन्होने। सौ किलोमीटर रोज तक भी चलाई है। गांव से राबर्ट्सगन्ज तक साइकिल से हो आये हैं। तब सड़कें खाली होती थीं। वाहन कम। सड़कों पर पैदल चलने वाले ज्यादा होते थे।

बदलते समय के बारे में उनके समय में एक प्रचलित कहावत सुनाई मदन मोहन जी ने। इन्दारा से पानी निकालने के लिये गगरी का प्रयोग होता था। बाद में बड़ा गगरा (पीतल या ताम्बे का घड़ा) प्रयोग में आने लगा। उसके बाद बाल्टी से भी पानी निकालने का समय आया।

गगरी रही, त पटरी रही (जब तक गगरी थी, तब तक पटरी – आपस में सौहार्द – रही)

गगरा भवा त रगरा भवा (जब गगरा प्रयोग में आया तो आपस में झगड़ा होने लगा। गगरी की बजाय गगरा कुंये की दीवार से ज्यादा टकराता था।)

बाल्टी आइ त पाल्टी आइ (बाल्टी का प्रयोग होने लगा तो राजनीति घुसी गांव में। पार्टियां बनने/दखल देने लगीं)

चलते समय पाण्डेय जी को प्रणाम किया तो उन्होने पुन: आने को कहा। उनके पास जाना और बैठना अच्छा लगता है। सो जाऊंगा जरूर। कामना है कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे और सरलता से सौ पार करें वे। उनके पास बैठ कर समाज-गांव में हुये बदलाव पर उनका कथन सुनना है। बार बार।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “मदन मोहन पाण्डेय, उम्र 93 वर्ष

  1. आपके लेख एकदम अलग से जमीनी होते हैं इसीलिये इन्हें पढनाअच्छा लगता है।

    Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started