ऋतम बोस

ये ऋतम बोस हैं. सूर्या ट्रॉमा सेंटर के प्रबंधक. अकेले रहते हैं इस लिए चौबीस में चौदह घंटे अस्पताल के काम में समस्याएं सुलझाते, प्रबंधन करते और मरीजों – ग्राहकों से बोल बतियाते, फीडबैक लेते दिख जाते हैं.

बंगाली हैं – हावड़ा के सुसंस्कार युक्त बंगाली.

यहाँ धुर पूर्वांचल के #गांवदेहात में कैसे आए?
“झारखंड के देवघर में पढ़ाई की. वहां से बनारस आया और फिर यहां औराई में.” बोस जी ने विस्तार से नहीं बताया. पर शायद सूर्या ट्रॉमा सेंटर को उनकी और उनको इस सेंटर की जरूरत थी. दोनों परस्पर कम्पैटिबल हैं.

हल्के में बोस जी ने जोड़ा – “बंगाली कहाँ नहीं हैं, सर. बंगालीज आर एवरीह्वेयर! 😊” सही कहते हैं. बोकारो में मेरी बिटिया दामाद के घर का अस्पताल है. वहां भी अस्पताल के प्रबंधक हैं बनर्जी दादा. बसक नाथ बनर्जी. बंगाली. वे भी अपने काम के लिए 200 पर्सेंट समर्पित हैं, ऋतम बोस जी की तरह.

मुझे यहां कोई समस्या हो, उसके विघ्न हरण के लिए बोस जी का नाम सुझाया गया. यहां आते ही पिताजी के आईसीयू में होने के कारण मुझे एक कमरे की आवश्यकता थी. बोस जी ने अस्पताल के नियमों की प्रतिबद्धता का निर्वहन करते हुए भी कोई न कोई तरीका निकाल लिया और यहां एक कमरा मिल गया.

मैं बहुत से मरीजों की समस्याओं का समाधान करते देखता हूँ बोस जी को. हर समय उन्हें अस्पताल के चक्कर लगाते ही देखा है. उनके अपने दफ्तर में बैठे तो कभी कभार ही देखा है.

बोस जी जैसे लोग किसी भी संस्थान के लिए एसेट होते हैं.

ऋतम बोस, प्रबंधक, सूर्या ट्रॉमा सेंटर

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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