राजकुमार जी से आमने सामने का कोई परिचय नहीं था. फिर भी उनके दुनियाँ के उस छोर शिकागो से आए फोन और उनके भाई जी के आ कर मिलने में आत्मीयता भरपूर झलकी. मैं उनके घर हो कर आया.
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
राजकुमार जी से आमने सामने का कोई परिचय नहीं था. फिर भी उनके दुनियाँ के उस छोर शिकागो से आए फोन और उनके भाई जी के आ कर मिलने में आत्मीयता भरपूर झलकी. मैं उनके घर हो कर आया.