झूला हमारे गांव की जिन्दगी के सेंस ऑफ प्राइड की वस्तुओं में प्रमुख है।
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कोविड19, दहशत, और शहर से गांव को पलायन – रीता पाण्डेय की पोस्ट
यह दहशत शहर वालों का ही रचा हुआ है! वहां है प्रदूषण, भागमभाग, अकेलापन और असुरक्षा। गंदगी शहर से गांवों की ओर बहती है। वह गंदगी चाहे वस्तुओं की हो या विचारों की। गांव में अभी भी किसी भी चीज का इस्तेमाल जर्जर होने तक किया जाता है। कचरा बनता ही कम है।
आज हवाओं में भी जहर है – रीता पाण्डेय की अतिथि पोस्ट
कठिन समय तो है, पर कठिनाइयों में ही आदमी की क्षमता परखी जाती है। लड़े बिना कोई रास्ता न हो तो आदमी सरेण्डर करने की बजाय लड़ना पसंद करता है। जंग छिड़ी है पूरी दुनियां में और जीतना तो है हीl
