घणरोज और अन्य वन्य जीव

female blue bull

गांव में रहने पर यह तो था कि कुछ जीव जिन्हे शहर में देखा नहीं, गांव में देखने को मिले। सबसे पहले दिखे नीलगाय (या घणरोज)। आधा दर्जन या उससे अधिक के झुण्ड में चरने वाले। लोगों के घरों के आसपास भी देखा मैने। फसल बर्बाद करते और कभी कभी आराम से सड़क पार कर निकल जाते भी। उनके कारण लोगों के घायल होने या मर जाने वालों की कथायें भी सुनीं।

घणरोज/नीलगाय

घणरोज के प्रति आक्रोश लगभग सभी में पाया; पर उन्हे मार डालने की वकालत करते बहुत कम ही दिखे। या कहूं कि कोई नहीं दिखा।

यह जीव देखने में मुझे भी बहुत आकर्षक लगता है। एक बकरा दाढ़ी वाला कद्दावर नर तो शरीर में सिहरन भी पैदा करता है। यूं ही मन सतर्क हो जाता है कि अगर उसने अटैक किया तो कैसे बचा जायेगा?

महीना भर पहले यह कद्दावर नर नीलगाय दौड़ता हुआ मुझसे पहले सड़क पार कर गया था।

राजन भाई बताते हैं कि एक बार उन्हे एक नवजात नीलगाय का बच्चा मिल गया। वे उसे साइकिल के कैरियर पर ले कर आ रहे थे कि लोगों ने उन्हे आगाह किया – छोड़ दें। अन्यथा उसकी मां ने देख लिया तो वह अकेले या उसका झुण्ड घातक हमला कर देगा। राजन भाई को चेतावनी जंची थी और उस शावक को तुरन्त छोड़ दिया था।

मादा नीलगाय। शायद बहुत कम उम्र की।

मैने सुना है लोगों को हिरण पालते। पर मैने सुना नहीं किसी को शौकिया नीलगाय पालते। नीलगाय को आदि मानव ने पालतू बनाने का प्रयास तो किया होगा। पर असफल होने पर आगे आने वाली संतति को इस प्रयास की निरर्थकता भी बता दी होगी।

नील गाय के अलावा कभी कभी रात में खरगोश सड़क पार करते दिख जाते हैं। वह इतना कम और इतनी जल्दी होता है कि कभी चित्र नहीं ले पाया। रात में कार की लाइट में चित्र लेना वैसे भी सम्भव नहीं है। सियार भी सांझ के धुंधलके में दिख जाते हैं यदा कदा। कुआर-कार्तिक में उनकी हुंआं हुंआं रात भर सुनाई देती है। गांवों से ज्यादा दूर नहीं रहते वे।

भेड़िये होते थे – यानी बिगवा। तीस चालीस साल पहले की स्मृतियां लोग बताते हैं उनके बारे में। अब लोगों ने देखे नहीं पर आशंका अब भी व्यक्त करते हैं। गड़रिये अपने रेवड़ को बिगवा से बचाने के लिये अभी भी प्रयत्नशील रहते हैं।

आज दिखा यह मोर।

मोर बहुत हैं इस इलाके में। निश्चय ही कोई शिकार नहीं करता। लम्बी पूंछों वाले शानदार मोर और अनेक मोरनिया। कोई न कोई मोर नर्तन करता दिख जाता है साइकिल सैर के दौरान। और तब साइकिल रोक कर उन्हे देखना एक जरूरत बन जाता है! :-)

उस दिन कल्लन यादव ने अगियाबीर के टीले पर बताया था कि रात में वहां साही को आते और जमीन के नीचे होने वाली फसल – आलू, अदरक, हल्दी, बण्डा, अरवी, शकरकन्द आदि बरबाद करते पाया है। लोग जाग जाग कर साही से बचाते हैं अपनी फसल। कभी कभी जब और कोई फसल नहीं होती तो सरपत या कुशा की घास की जड़ें भी खोद कर खाते पाया है साही को। खेत में बल्ब जला कर साही या घणरोज से बचाव का उपाय खोजते भी देखा है किसान को।


ब्लॉग पोस्ट – नीलगाय ने रास्ता काटा

ब्लॉग पोस्ट – तालाब में फंसी घायल नीलगाय

सबसे पुरानी ब्लॉग पोस्टों में एक – शहर में रहती है नीलगाय


सांप हैं। मैं मानव जाति में सांपों की नहीं कह रहा। सर्प योनि में। जब यहां गांव में रहने को आया था तो सांपों के जहर और काटने को ले कर बहुत शंकित रहता था। पर अधिकांश सांप निरीह से पाये। उनको ले कर अभी भी भय है। पर कम हो गया है।

sand boa
गूंगी। धामिन। सैण्ड बोआ।

पढ़ें ब्लॉग पोस्ट – रविवार, रामसेवक, अशोक के पौधे और गूंगी

अगर गांव में न रहता और साइकिल ले गंगा किनारे न घूमता निरुद्देश्य; तो इन सब जीवों के बारे में न सुनता, न देखता। तब शायद शहर में बैठा सैद्धान्तिक बातें किया करता।

आज पचेवरा गया था। वहां के खोह और सरपत वनों में नीलगाय का आधा दर्जन का एक झुण्ड दिखा और एक मोर भी। एक लोमड़ी भी रास्ता काट निकल गई थी। वह सब देख कर यह लिखने का मन हो आया।


22 मई 2017 की फेसबुक नोट्स पर उपलब्ध पोस्ट। अब फेसबुक नोट्स को फेज आउट कर चुका है, इस लिये यहां आर्काइव से उतारनी पड़ी है। पोस्ट परिवर्तित/परिवर्धित भी की है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

2 thoughts on “घणरोज और अन्य वन्य जीव

  1. कुछ बुरा भी अगर होता है तो भले के लिए…. :)
    फ़ेसबुक नोट के अधिकांश लेख मैंने नहीं पढ़े थे. ब्लॉग पर आने से अब उन पर नजर जा रही है. तो यह भला ही हो रहा है…:)

    Liked by 1 person

    1. काश लोग – पुराने 100-200 लोग नियमित ब्लॉग लिखने पढ़ने लगें। कोई जुगाड़ लगाएं आप! 😊

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