गंगा किनारे फिसलन थी। उन महिलाओं को उसी का भय था। मैंने (बबिता ने) उन्हें कहा कि अगर आपको आपत्ति न हो तो मैं गंगाजी को आपके फूल चढ़ा सकती हूं।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
गंगा किनारे फिसलन थी। उन महिलाओं को उसी का भय था। मैंने (बबिता ने) उन्हें कहा कि अगर आपको आपत्ति न हो तो मैं गंगाजी को आपके फूल चढ़ा सकती हूं।