यह सौभाग्य है कि डा. अशोक सिंह अपने संस्मरण सुनाने को राजी हो गये। आज उस कड़ी में पहला पॉडकास्ट है जिसमें वे अगियाबीर की खोज की बात बताते हैं। उनके संस्मरण बहुत रोचक हैं। आप कृपया सुनने का कष्ट करें।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
यह सौभाग्य है कि डा. अशोक सिंह अपने संस्मरण सुनाने को राजी हो गये। आज उस कड़ी में पहला पॉडकास्ट है जिसमें वे अगियाबीर की खोज की बात बताते हैं। उनके संस्मरण बहुत रोचक हैं। आप कृपया सुनने का कष्ट करें।