उदयपुरा से बरेली और नागा बाबा से मिला सत्कार


“नहीं भईया, नागा लोगों का दिया धन पचाना आसान बात नहीं है। मेरे मना करने पर भी पचास रुपया और दिये नागा बाबा। … कपड़ा-लंगोट कुछ नहीं पहने थे। बस एक गमछा लपेट लिये थे लोगों के सामने आने के समय।”

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