पानी में धीरे-2 गर्म होता मेढ़क उबल कर मर जायेगा?

हम सब ने प्रबंधन और आत्मोन्नति की पुस्तकों में एक कहानी पढ़ी है। मेढक को अगर खौलते पानी में डाला जाये तो वह तुरंत कूद कर बाहर आ जायेगा और बच जायेगा। अगर उसे ठण्डे पानी के भगौने में रख कर धीरे धीरे पानी गर्म किया जाये तो वह पानी के ताप के बढ़ने को भांप नहीं पायेगा और अंतत: उबलते पानी में मर जायेगा।

हम सब इस रूपक पर यकीन करते हैं। हम मानते हैं कि धीरे धीरे होने वाले परिवर्तन हमारी बदलाव पर प्रतिक्रिया को कुंद कर देते हैं।

हम = मेढक

मेढक = हम

पर क्या ऐसा है?

एडम ग्राण्ट की 2021 में आई पुस्तक “थिंक अगेन” की प्रस्तावना में इसकी चर्चा है। उनका कहना है –

“मैंने इस लोक प्रसिद्ध कथा पर थोड़ा शोध किया। और पाया कि इसमें एक सलवट है – यह कथा सही नहीं है!

उबलते पानी में मेढक इतना जल जायेगा कि वह बाहर उछल कर भागने की दशा में ही नहीं रहेगा। मेढक असल में धीमे धीमे गर्म होते पानी में बेहतर दशा में है। वह जब असहजता वाली गर्मी महसूस करेगा, उछल कर बाहर आ जायेगा।

असल में मेढक वह प्राणी नहीं है जो स्थिति का सही सही आकलन नहीं कर पाता। सही आकलन न करने वाले हम हैं। जब हम यह कहानी सुनते हैं और, प्रथमदृष्ट्या, इसे सही मानते हैं; तब हम शायद ही इसपर कोई प्रश्न चिन्ह लगाते हैं!

हम उस व्यक्ति पर हंसते हैं जो विण्डोज 11 के जमाने में विण्डोज 95 का प्रयोग करता पाया जाता है। पर हम खुद सन 1995 में बनाये अपने विचारों को छोड़ नहीं पाते। हम उन बातों-विचारों को सुनते और यकीन करते हैं जो हमें अच्छे लगते हैं। हम उन विचारों को प्रथमदृष्ट्या खारिज कर देते हैं जो हमें गहन सोचने को बाध्य करें!”


A frog sitting on the handle of a saucepan on a hot stove
By James LeeFormerIP at en.wikipedia –
https://www.flickr.com/photos/jronaldlee/4579611880/Transferred
from en.wikipedia by ronhjones, CC BY 2.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=18954704

मैंने मेढक वाला मेटाफर/रूपक बहुत बार सुना है और लोगों के सामने अपनी विद्वता (?) छांटने के लिये कभी कभी दोहराया भी है। पर इस रूपक पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया। अब; छियासठ प्लस की उम्र में लगा रहा हूं। ऐसे कितने ही जड़ विचार और पूर्वाग्रह मन में हैं। उनपर भी ध्यान देने की जरूरत है। उनपर भी ‘थिंक अगेन’ किया जाये! :lol:

छियासठ की उम्र में कोई खास बात नहीं है। यह संख्या छप्पन, छियालीस, छत्तीस… सोलह भी हो सकती है। कोई भी अवस्था हो सकती है।

मैंने एडम ग्राण्ट की उक्त पुस्तक पढ़ने के लिये अँवासी* है। आप भी शुरू कर सकते हैं! :smile:

* नया कपड़ा लत्ता पहनना शुरू करने को मेरी देशज (अवधी) भाषा में अँवासना कहते है। यह शब्द नई पुस्तक के संदर्भ में भी ट्रांसपोर्ट कर लिया है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

6 thoughts on “पानी में धीरे-2 गर्म होता मेढ़क उबल कर मर जायेगा?

  1. पता नहीं कि यह पोस्ट मेरे ऊपर ही लिखी गयी है। मैं अभी ११ साल पुराने मैकबुक एयर में यह कमेन्ट टाइप कर रहा हूँ और प्रसन्न भी हूँ। जितना पानी गरम है उतना आनन्द दे रहा है, बाहर आने का मन ही नहीं है।

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    1. आप 11 साल पुरानी मैक बुक का प्रयोग मजे से कर सकते हैं, पर विचारों में अपडेट हो कर प्रवीण22 संस्करण जरूर लाएं जो प्रवीण11 से बेहतर होगा! 😁

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  2. Santosh Mishra फेसबुक पेज पर
    लाजवाब पोस्ट।
    बिल्कुल सही कहा सर।
    ऐसी बहुतेरी कहानियां है जो सही नही हैं पर इन पर विश्वास खूब किया जाता है।

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  3. चंद्रमोहन गुप्ता फेसबुक पेज पर
    कुछ विचार ऐसे होते हैं, जिन्हे नहीं छोड़ा जा सकता, जबकि कुछ विचार समय के साथ परिवर्तित हो जाने चाहिए। 🤔

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  4. You are right. We lose our capacity to fight with circumstances when we use our energy where we should not. Like boiling frog syndrome…when we have lost all energy already in petty things, how can we fight when the actual time to fight comes. So we should preserve our power to fight and not waste it. Thanks for sharing it.😀😊

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