अभोली के रामेश्वर मिश्र


वह अपरिचित नौजवान मुझे घर के गेट पर मिल गये। मैं शाम के समय साइकिल ले कर निकलने ही वाला था कि उस व्यक्ति ने मेरे बारे में पूछा। कौन हैं, किस लिये मिलना चाहते हैं, यह पूछ्ने पर बड़ा आश्चर्यजनक (और सुखद) उत्तर था कि वे सलोरी, प्रयागराज में रह कर पीसीएस की परीक्षाContinue reading “अभोली के रामेश्वर मिश्र”

कबूतरों और गिलहरियों का आतंक – भाग 2


यह गर्वानुभूति कायम रह पायेगी? अंतत: कौन जीतेगा? हम या कबूतर? या कबूतर रूपी यूक्रेन की सहायता को पोलेण्ड रूपी गिलहरियां कोई नया बखेड़ा कायम करेंगी? क्या “कबूतरों और गिलहरियों का आतंक” का कोई भाग 3 भी लिखना होगा?!

शाम की पूजा, गड़ौली धाम में


संझा के समय गोपाल कृष्ण के पास आरती, घण्टा ध्वनि और एक गाय बछ्ड़े के साथ मधुराष्टक उच्चारण सहित सम्पन्न होती है। वह सब मुझे वृन्दावन के वातावरण में ट्रांसपोर्ट कर लेता है। लगता है कि शाम को इस अनुष्ठान में रोज सम्मिलित हो सकूं तो क्या बढ़िया हो।

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