करुणेश – फोटो खींचने वाले नेता

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Gadauli Dham गड़ौली धाम

वे नेता मण्डली में सम के बीच एक विषम तत्व हैं। अब चुनाव प्रचार अपने पीक पर है। सारे टिकटार्थी नेतागण गड़ौली धाम से अनुपस्थित हैं। जो टिकट पाये होंगे वो चुनाव प्रचार में लगे होंगे और जो नहीं पाये होंगे वे भी कुड़बुड़ाते हुये प्रचार में लग गये होंगे। पर करुणेश अब भी दिखते हैं गड़ौली धाम पर। बांये हाथ में मोबाइल थामे और दांये हाथ की उंगली फोटो खींचने के लिये तत्पर। शाम होने जा रही है, करुणेश उस गोल्डन ऑवर की इंतजार में हैं जिसमें गजब++ चित्र आते हैं।

करुणेश

करुणेश से मेरा परिचय नहीं है। गड़ौली धाम में आने वाले अधिकांश लोगों से मेरा परिचय नहीं है। पर लगता है एक एक कर नॉन-टिकटार्थी लोगों से परिचय कर ही लेना चाहिये। आखिर अगर इस परियोजना के बारे में लिखना है तो उन लोगों के साथ अपरिचय की बर्फ तोड़नी ही होगी। उस बर्फ को तोड़ने में मैं बहुत कुशल व्यक्ति नहीं हूं; पर कोशिश कर लेता हूं।

“आज आपने क्या क्या खींचा, करुणेश जी?”

एक छोटा प्रश्न, एक छोटा सा खोदना, और बर्फ तड़ तड़ करती टूट जाती है। कई बार देखा है। अपरिचय की बर्फ बहुत भंगुर होती है। उसे थोड़े से पुश की जरूरत होती है! :smile:

करुणेश जी का खींचा हमारा चित्र

करुणेश मुझे अपने मोबाइल में बहुत से चित्र दिखाते हैं। सभी एक से एक अच्छे हैं। करुणेश जी को धूप का इस्तेमाल, फोकस करने के सही बिंदु, रूल ऑफ थर्ड, फ्रेम में क्या लेना है और क्या नहीं… सब की बहुत इनट्यूटिव समझ है। वे बड़बोले नेताओं से उलट ज्यादा ही विनम्र हैं। अपने चित्र खींचने के हुनर को जताने की बजाय अपने मोबाइल के कैमरे को श्रेय देते हैं। यह नहीं सोचते कि मैं बहुत बढ़िया कैमरे और बहुत शानदार मोबाइल वालों को बहुत घटिया चित्र खींचते – देशज भाषा में कहें हो ‘लीदते’ – देख चुका हूं। Karunesh is simply outstanding and the credit goes to him, not to his mobile!

खिचड़ी होते बाल पर बड़ी सधाई से काढ़े हुये, जीवंत मूछें, इकहरा शरीर, सुरुचिपूर्ण वस्त्र और जैकेट (जो मैंने उनके शरीर पर हमेशा देखा है), और चश्मे से झांकती कौतूहल भरी जिज्ञासु आंखें – आप उनके पर्सोना को बिना नोटिस किये, इग्नोर करते हुये उन्हें नहीं ले सकते।

करुणेश जी का खींचा एक चित्र

करुणेश भाजपा के उत्तर प्रदेश के आईटी सेल के शीर्ष पर रह चुके हैं। शायद हैं भी। शैलेश का कहना है कि उन्हें भाजपा के आईटी खेमे में खींचने वाले करुणेश ही हैं। शैलेश के अनुसार करुणेश में बढ़िया चित्र खींचने के अलावा लोगों को परखने और उनकी खूबियां ढूंढ़ने-उभारने की जबरदस्त प्रतिभा है। वे अपने को पीछे रख कर प्रतिभावान को आगे बढ़ाने-प्रोमोट करने में कंजूसी नहीं करते। … सुनील ओझा जी बहुत जानदार मनई पाये हैंं अपने काम के लिये करुणेश जी में! मुझे पक्का यकीन है कि इस गड़ौली धाम को आकार देने में करुणेश का बड़ा योगदान होगा।

करुणेश जी मझवाँ के रहने वाले हैं। वहां उनकी नर्सरी है। मैं उस नर्सरी में जा चुका हूं और उसके बारे में लिख भी चुका हूं। पर वहां इनसे मुलाकात नहीं हुई थी और परिचय नहीं हुआ था। अब हुआ है। थोड़ा थोड़ा। वे बताते हैं कि राजनीति से केवल उतना जुड़े हैं जिससे घर की पिछ्ली पीढ़ियोंं की विरासत धूमिल न पड़े और उसपर विराम न लगे। वे उतना ही सक्रिय हैं, जितने से ‘कण्टीन्यूटी’ कायम रहे।

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Gadauli Dham गड़ौली धाम

आशा करता हूं कि आगे करुणेश जी से मुलाकात होती रहेगी। उनके व्यक्तित्व के नॉन-पोलिटिकल पक्ष से और आत्मीयता बढ़ेगी। उनकी सरलता से बहुत सीखने को मिलेगा और (मुख्य बात‌) ब्लॉग पर कुछ बेहतर लिखने-प्रस्तुत करने का कण्टेण्ट मिलेगा।

प्रमोद शुक्ल और करुणेश – दो चरित्र हैं; जिनका मैंने परिचय दिया है। ऐसे पांच सात लोग और हैं, जिनको जानना और जिनके बारे में आगे लिखना होगा। … गड़ौली धाम मुझे लपेट ही ले रहा है! :lol:


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

2 thoughts on “करुणेश – फोटो खींचने वाले नेता

  1. तरुण शर्मा ट्विटर पर –
    “एक छोटा प्रश्न, एक छोटा सा खोदना, और बर्फ तड़ तड़ करती टूट जाती है। कई बार देखा है। अपरिचय की बर्फ बहुत भंगुर होती है। उसे थोड़े से पुश की जरूरत होती है! 🙂”

    कितनी सुन्दर उपमा की है आपने। साधू साधू

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