रोहित ने मुझे बताया कि वे 23 साल की उम्र में इस नौकरी में आये थे और अब इग्यारह साल हो गये हैं इसी दफ्तर में काम करते हुये। अपना काम उन्हें अच्छा लगता है। ग्राहकों में तीन प्रतिशत से ज्यादा नहीं होते जो असंतुष्ट हों।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
रोहित ने मुझे बताया कि वे 23 साल की उम्र में इस नौकरी में आये थे और अब इग्यारह साल हो गये हैं इसी दफ्तर में काम करते हुये। अपना काम उन्हें अच्छा लगता है। ग्राहकों में तीन प्रतिशत से ज्यादा नहीं होते जो असंतुष्ट हों।