भारत जोड़ो पदयात्रा को नोटिस लेने का भाव

यात्रा जब शुरू हुई, नौटंकी ही लगती थी। उसका नेता तब ‘पप्पू’ ही था मेरे मन में। यह विचार था कि बंदा अपने हाव भाव में, अपने चीख चीख कर “चौकीदार चोर है टाइप” भाषणों से देर सबेर गदहपचीसी करेगा ही। दो चार दिनों बाद युवराज जी, धीरे से सुरजेवाला छाप लोगों को बेटन थमा, सटक कर, ननियऊरे चले जायेंगे! और तब भाजपा की आईटी टीम बड़ी आसानी से हालात भुना कर तथाकथित पदयात्रा वाली नौटंकी की हवा सरका देगी।

दुखद (या सुखद?) है कि वैसा हो नहीं रहा है। :sad:

उस यात्रा को जो ट्रेक्शन मिल रहा है; उससे लगता है; भाजपा को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। और जैसा मेरा सोचना है – भाजपाई मोदी नामक तारणहार की ओर ताकते सुविधाभोगियों की जमात ही बनते गये हैं, उत्तरोत्तर। वे अब उतने ही दो कौड़ी के लगते जा रहे हैं, जितने थके थुलथुल कांग्रेसी। शायद भ्रष्ट भी हों; यद्यपि वह अभी उजागर नहीं हुआ है। अभी मीडिया पर कमल की ग्रिप तगड़ी है। वैसा आसानी से होगा नहीं।

सैलून की सुविधा देख कर मन में होता था कि मैं भी उनके जत्थे में एन-रोल कर एक बिस्तर उनके सैलून में जुगाड़ता और अपनी साइकिल ले कर उनके साथ देश की यात्रा करता।

पर महीना भर बाद लगता है कि कांग्रेस की इस यात्रा को देखना, नोटिस करना शुरू करना चाहिये। कल उनकी साइट पर गया तो यह पाया कि पवन वर्मा और मनीश खण्डूरी यात्रा का ट्रेवलॉग/डायरी प्रस्तुत कर रहे हैं। यह दस सितम्बर 22 (यात्रा के तीसरे दिन) से नियमित परोसी गयी है उनकी साइट पर। दो-चार दिन के टाइम लैग के साथ।

और वह ट्रेवलॉग राहुल गांधी के पप्पूत्व को उत्तरोत्तर कम करने में कामयाब हो रहा है। गांधी परिवार ने देश को जितना चूसा है, उसके लिये उसके प्रति मन में कोई भूल जाने का भाव नहीं है; पर मैं यह जरूर चाहता हूं कि भाजपा की ‘इनविंसिबिल होने की कॉम्प्लीसेन्सी’ खतम होनी चाहिये। उन्हें कहीं बेहतर काम करना चाहिये। उसके लिये राहुल जी का कम होता पपूत्व अगर सहायक हो तो वैसा ही हो!

राहुल गांधी की टीम के ट्रेलर पर लदे सैलून की सुविधा देख कर मन में होता था कि मैं भी उनके जत्थे में एन-रोल कर एक बिस्तर उनके सैलून में जुगाड़ता और अपनी साइकिल ले कर उनके साथ देश की यात्रा करता। या, विकल्प के रूप में उसमें कोई यात्रा करने वाला व्यक्ति, प्रेमसागर की तरह मुझे यात्रा विवरण देता और उसमें अपने विचार जोड़ कर मैं नित्य लिख पाता। … वह केवल ख्याली पुलाव ही है। कोई कांग्रेसी मुझसे अपनी यात्रा शेयर करेगा ही नहीं। सवाल ही नहीं उठता।

राहुल गांधी की टीम के ट्रेलर पर लदे सैलून की सुविधा देख कर मन में होता था कि मैं भी उनके जत्थे में एन-रोल कर एक बिस्तर उनके सैलून में जुगाड़ता।

वैसे, उस जत्थे को मुझ जैसे दो चार को साथ ले कर चलना ही चाहिये। निंदक नियरे राखिये, ट्रेलर सैलून बिठाय! :lol:

जैसा मेरा सोचना है – भाजपाई मोदी नामक तारणहार की ओर ताकते सुविधाभोगियों की जमात ही बनते गये हैं, उत्तरोत्तर। वे अब उतने ही दो कौड़ी के लगते जा रहे हैं, जितने थके थुलथुल कांग्रेसी।

खैर ट्रेवलॉग लिखने की वह निरपेक्ष कमी, रुपया में चार आना भर ही सही, पवन वर्मा और मनीश खण्डूरी पूरी कर रहे हैं।

बारिश में भीगते भाषण करते युवराज जी

भाजपा अभी शायद नोटिस न ले। पर देर सबेर उसको इस पदयात्रा की काट निकालनी ही होगी। आम भाजपाई, और भगतों की जमात, कांग्रेस की दुर्गति पर खिस्स खिस्स हंसने की बजाय गम्भीर हो कर एक्शन मोड में आ जाये तो बहुत भला होगा।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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