काशी विश्वनाथ (विश्वेश्वर महादेव) दर्शन कर मेरे बेटी-दामाद और मेरी सलहज गेट नम्बर चार के आसपास एक गोलगप्पे वाले के पास रुके।
विवेक और वाणी धार्मिक जीव हैं। नवरात्रि, डाला छठ और हिंदुइज्म के जो भी आचापांचा व्रत उपवास होते हैं, करते हैंं। जो भी मंदिर दीखते हैं, वहां पूरी श्रद्धा से दर्शन करने जाते हैं। उनकी पांच सात प्रतिशत आस्था मुझमें होती तो मैं थोड़ा प्रयत्न कर एक बाबा टाइप जरूर बन जाता; या कम से कम यू-ट्यूबर बाबा बन जाता। पर वह दृढ़ आस्था मुझमें नहीं है। 😦
विश्वनाथ मंदिर दर्शन के बाद कुछ जलपान को तलाश रहे थे वे लोग कि ये गोल गप्पे वाले का ठेला दिख गया। वाणी ने मुझे बाद में बताया कि बहुत स्पेशल था गोल गप्पे वाला। आठ-नौ प्रकार के गोलगप्पे के पानी बना रखे थे उसने। इसके अलावा बहुत ही साफ सुथरा। जबरदस्त हाईजीन। इन लोगों ने जम कर अलग अलग प्रकार के गोलगप्पे के पानी के साथ गोलगप्पे चखे और फिर भांति भांति के पानी का अलग से स्वाद लिया। उसके बाद सर्वसम्मति से तय किया कि छब्बीस जनवरी को विवस्वान पाण्डेय (विवेक वाणी के पुत्र और मेरे नत्तू पांड़े) के यज्ञोपवीत संस्कार में ऐसा ही गोलगप्पे का स्टॉल होना चाहिये।

गोलगप्पे वाले अभिषेक कुमार मिश्र को प्रस्ताव दिया तो वे कूद कर तैयार हो गये। उन्होने बताया कि हाल ही में वे बिहार में इसी तरह की स्टॉल एक समारोह में लगा चुके हैं। इस तरह के समारोहों में उत्कृष्ट सेवा देने में वे माहिर हैं।
सो तय हुआ है कि बनारस से बोकारो जायेंगे अभिषेक मिश्र, गोलगप्पे वाले। यहां से उनके गोलगप्पे के पानी का 8-10 तरह का मसाला और तैयार गोलगप्पे भी ले जाये जायेंगे। उनके अपने वाले स्वाद के लिये वे लोकल झारखण्डी गोलगपा नहीं, अपना वाला ही इस्तेमाल करेंगे। हजारों मेहमानों की भीड़ के लिये गोलगप्पे कैसे ले जाये जायेंगे, यह भी देखने की बात होगी।
विकास (मेरे छोटे साले साहब) ने बताया कि अभिषेक मिसिर के लिये एक सेट कुरता-धोती का इंतजाम भी बोकारो में किया जा रहा है। जिसे पहल कर वे खांटी बनारसी लुक देते हुये गोलगप्पा सर्व करेंगे!
काशीनाथ सिंह ने बनारस के पप्पू चाय वाले को फेमस कर दिया। अब विवेक वाणी अभिषेक मिसिर को बनारस से बोकारो घुमा कर फेमस कर देंगे। या अभिषेक पहले से ही फेमस हैं? पता नहीं। चित्र में अभिषेक जो कागज दिखा रहे हैं उसमें उनका मोबाइल नम्बर, बैंक अकाउण्ट नम्बर आदि सब कुछ है। उनके बारे में ज्यादा डीटेल्स मुझे नहीं मिली हैं। क्या सुझाव है – मोबाइल नम्बर डायल कर अभिषेक से ही पूछा जाये?
पता नहीं बनारस में अभिषेक जैसे कितने तराशे और/या अनगढ़ हीरे होंगे!