पूर्णिया से डगरुआ

18 अप्रेल 2023

कल टेम्पो वाले ने घायल किया था प्रेमसागर को और मुहम्मद रिजवान आलम जी ने उनका फर्स्ट-ऐड कर उन्हें अमरदीप पांड़े जी के घर जाने वाली बस में बिठा दिया था। रात अमरदीप जी के यहां गुजारने के बाद आज सवेरे झूनू सिंह और अमरदीप (गुड्डू पांड़े) बस से उन्हें वापस पूर्णिया छोड़ने आये। झूनू सिंह मकई के व्यापारी हैं। इलाके में मक्का और दलदली जगह में मखाना खूब होता है। दोनो के चित्र प्रेमसागर ने भेजे हैं और बताया भी है।

सवेरे झूनू सिंह (दांये) और अमरदीप (गुड्डू पांड़े) बस से प्रेमसागर (बीच में) को वापस पूर्णिया छोड़ने आये।

आज पूर्णिया से चलने पर पूर्णिया-सिलीगुड़ी हाईवे की बजाय कोई और रास्ता पकड़ लिया प्रेमसागर ने और मार्ग का कोर्स करेक्शन करने में करीब आठ किलोमीटर ज्यादा चलना पड़ा। घायल अवस्था में वह चूक भारी पड़ी होगी। दिन भर में कुल 26 किमी चले पर नक्शे के हिसाब से पूर्णिया से डगरुआ 18 किमी ही है।

बाबा धाम के उनके मित्रों को खबर लग गयी प्रेमसागर के घायल होने की। किन्ही मनोज यादव जी का फोन आया। मनोज इस इलाके को भली प्रकार जानते हैं। उन्होने डगरुआ के सत्यम महतो को खबर की कि सोमारी बाबा (प्रेमसागर) को अपने यहां रुकवा लें।

सत्यम महतो (दांये), उनके पिताजी और प्रेमसागर (बांये) डगरुआ में।

सत्यम महतो पांच सात किमी पहले आ कर प्रेमसागर से मिले। उनके साथ डगरुआ आये प्रेमसागर। गांव या बाजार हाईवे के किनारे ही है। ज्यादा दूर नहीं। गांव में ही एक कपड़ा की दुकान से नेकर/हाफ पैण्ट का जोड़ा खरीदा प्रेमसागर ने। दुकानदार जी को पता चला प्रेमसागर की पदयात्रा का तो वे उनके पैर छुये। सत्यम के घर आ कर रात में दाम वापस करने लगे। एक नेकर 235रु का था। प्रेमसागर ने फिर भी एक नेकर का दाम वापस नहीं लिया। “भईया, हाफपेण्ट जरूरी हो गया था। घाव से रगड़ खाती धोती से तकलीफ हो रही थी। हाफ पैण्ट भी लाल ही रंग की है। जब तक घाव ठीक नहीं होता, हाफ पैण्ट में ही यात्रा होगी।” – प्रेमसागर ने बताया।

कपड़े की दुकान पर हाफ पैण्ट खरीदा प्रेमसागर ने। दुकानदार (बांयें) उनके पदयात्री का परिचय पा कर दाम वापस करने घर पर आये रात में।

सत्यम महतो की जनरल स्टोर की दुकान है। सड़क किनारे थी पर सड़क का चौड़ा करने के काम में उसे गिराया गया है। नयी दुकान जब तक बनेगी, तब तक घर में ही दुकान चला रहे हैं वे। रात में रोटी-दाल-भुजिया-दूध का भोजन कराया प्रेमसागर को।

सत्यम के घर का मिट्टी का दो बर्तन वाला चूल्हा बड़ा आकर्षक लग रहा है। रात में फोटो बहुत साफ नहीं है, पर एक चित्र बहुत बोलता है बिहार की गांव की जिंदगी के बारे में।

सत्यम के घर का मिट्टी का दो बर्तन वाला चूल्हा बड़ा आकर्षक लग रहा है। रात में फोटो बहुत साफ नहीं है, पर एक चित्र बहुत बोलता है बिहार की गांव की जिंदगी के बारे में।

डगरुआ से किशनगंज 56 किमी दूर है। आगे प्रेमसागर के रुकने का इंतजाम मनोज भईया (मनोज यादव) ने किया है। “आगे एक दो दिन का लाइन अप कर दिये हैं मनोज भईया। उसके बाद कोई रेलवे के अधिकारी हैं, वे देखेंगे।” – प्रेमसागर ने बताया। लोग उनकी दुर्घटना से सेंसिटाइज हो गये प्रतीत होते हैं। ईश्वर: यत्करोति, शोभनम करोति! भगवान जो करते हैं, शुभ ही करते हैं।

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:!

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
*****
प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 83
कुल किलोमीटर – 2760
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Advertisement

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

One thought on “पूर्णिया से डगरुआ

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: