विजय कुमार मिस्त्री – नायाब ब्लॉग चरित्र!

गजब के चरित्र हैं विजय कुमार (जायसवाल) मिस्त्री। अपनी गैस चूल्हा रिपेयर दुकान में गद्दी पर बैठे मिले। मोबाइल पर कोई फिल्म देख रहे थे।

रसोई का कोई भी अल्लम गल्लम सामान हो जो ठीक करवाना हो, उनकी दुकान पर आपको (कम से कम) नब्बे फीसदी संतुष्टि की सम्भावना तो है ही। और दस पंद्रह मिनट की बातचीत में वे ब्लॉग के लिये स्टार कैरेक्टर भी प्रमाणित हुये। अगर मुझमें लेखन क्षमता बढ़ जाये तो वे एक कालजयी पुस्तक के नायक बन सकते हैं।

गजब के चरित्र थे विजय कुमार मिस्त्री। अपनी गैस चूल्हा रिपेयर दुकान में गद्दी पर बैठे मिले।

मैने उनसे पूछा – अपनी जिंदगी के बारे में बतायें। उनका कहना था – “ऐसे तुरत फुरत में थोड़े ही बता सकता हूं। आपको चार पांच दिन बैठना होगा यहां सुनने के लिये। पूरे पूरे दिन। परिवार पालने के लिये अस्सी रुपया महीने में रिक्शा चला चुका हूं। कर्जा पाटने के लिये एक समय था जब गांजा भी बेचा है। कर्जा पाटते ही वह काम खतम। मिस्त्री का काम तो शुरू से भाता रहा है मुझे। और क्या क्या नहीं किया मैंने परिवार को पालने के लिये!”

“पांच बीमारी थी मुझे – किडनी, शक्कर, फेफड़े में पानी, टीबी… वजन 105 किलो से घट कर पैंतालीस रह गया था। हरामी डाक्टर टेस्ट कराते गये, पैसा ऐंठते गये। कुछ फरक नहीं पड़ा। फिर नरिया (नरिया, लंका, वाराणसी) में ये (उनका कार्ड मुझे दिखा कर) डाक्टर मिले। उनके इलाज से सब ठीक हो गया। वजन भी बढ़ा। अब यहां बैठा रहता हूं। बड़ा लड़का सब सीख गया है। मैं बस उसे कुछ मामला फंसने पर बताता हूं। … यमराज को हरा कर वापस आया हूं मैं। इसलिये मैं जल्दी जाऊंगा नहीं। खूब चलूंगा।” – विजय मिस्त्री अनवरत बोलते जाते हैं। मेरे पास नोट करने को डायरी भी नहीं है। जितना कहा, उसका आधा भी लेखन के लिये याद नहीं है।

उन्होने मुझे चाय भी पिलाई। घर की बनी थर्मस में रखी इलायची वाली बढ़िया चाय। पास में कुर्सी पर बिठा कर अपने घर के सामने बने देवी माता के मंदिर का वीडियो दिखाया। मैं चलने की कोशिश करता तो वे कोई न कोई और रोचक प्रसंग शुरू कर देते अपनी जिंदगी का।

विजय कुमार मिस्त्री के साथ मैं।

अंतत: मैंने कहा – “आपकी दुकान पर आ कर घण्टों बैठूंगा और सुनूंगा।” मैंने उन्हे अपना ब्लॉग भी दिखाया – “जैसे और लोगों के बारे में लिखा है, वैसे आपके बारे में भी लिखा जा सकता है। शायद कहीं बेहतर चरित्र हैं आप!”

एक भगौना (हेण्डल वाला पैन) दे कर आया हूं उनकी दुकान पर। उसके टूटे हेण्डल की जगह नया लगाना है। घर में ऐसे तीन चार और बर्तन हैं। सब ठीक कराने हैं। ठीक कराई होती रहेगी और विजय कुमार जायसवाल जी का आख्यान भी सुनना चलेगा। और जब सुनना होगा तो लिखना होगा ही।

मैं उनसे गर्मजोशी से हाथ मिला कर लौटा। … मिला जाया करेगा उनसे।


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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