21-22 मई 2023
सवेरे कुछ देर से निकलना हुआ जालंधर से। अब प्रेमसागर माँ चिंतपूर्णी के दर्शन को निकल गये हैं। चिंतपूर्णी अर्थात देवी छिन्नमस्ता। तांत्रिकों और गृहस्थों – दोनो में बहुत मान्यता है माता चिंतपूर्णी की। हो भी क्यूं न? लोक कथाओं के अनुसार माता अपने सेवकों, सैनिकों की क्षुधा पूर्ति के लिये अपना ही सिर काट कर रक्त पान कराती हैं। मेरे लिये यह कल्पनातीत बात है। पर मातृशक्ति साधकों के लिये यह अपार श्रद्धा का विषय।
प्रेमसागर किस लिये यात्रा किये जा रहे हैं – मुझे नहीं मालुम। शायद उनकी प्रकृति ही यात्रा करना है। मैं उनके बारे में, उनके ट्रेवलॉग – या डियाक (डिजिटल यात्रा कथा) – को इसलिये सुन-लिख रहा हूं कि उससे मुझे नये स्थानों की जानकारी हो रही है। वे स्थान जो मैं खुद कभी नहीं देख पाया या देख पाऊंगा।
जालंधर से चिंतपूर्णी करीब पचासी किमी दूर है। होशियारपुर बीच में पड़ता है। लगभग चालीस किमी चलना हुआ। उसके बाद रात गुजारने की जगह तलाशने में पांच किमी और भटभटाये होंगे प्रेमसागर। उन्हें कोई लॉज, कोई मंदिर, कोई धर्मशाला नहीं मिली। “शाम छ बजे से देर रात तक बहुत मंदिर, बहुत गुरुद्वारा में गये पर सब से जवाब दे दिया गया कि “कमेटी की परमीशन नहीं है।”

अंतत: रात इग्यारह बजे मारुति कम्पनी का ट्रू-वैल्यू स्टोर सा था। उसी के पास पीर बाबा की दरगाह थी। मारुति वालों ने कहा कि दरगाह में रुक जायें। तो बिना और कोई विकल्प के वे दरगाह के बाहर जमीन पर अपनी चादर बिछा लिये।
और सोना भी क्या हुआ। खुले जगह थी और वहां मच्छरों का साम्राज्य था। प्रेमसागर के पास मच्छर अगरबत्ती थी, दो अगरबत्ती जलाई पर खुले में वह प्रभावी नहीं थी। वह तो देर रात गार्ड आया। “उसने मच्छरदानी लगा दिया तो दो घण्टा सो लिये हम।”
मुश्किल से ही कुछ नींद आ पाई होगी। 22 मई की भोर में पौने चार बजे उठना पड़ा। दरगाह पर पीर बाबा के दर्शन करने वाले वाले आने लगे थे। उनका हल्ला-गुला सोने नहीं दिया।
मुझे नहीं मालुम था कि हिंदू देवी देवता पूजक ही नहीं, दरगाह-भक्त भी तीन बजे ही अरदास करने आने लगते हैं!
अपने पास ओडोमॉस जैसी बेसिक चीज भी ले कर नहीं चलते? मैंने जोर दे कर कहा तो उनका जवाब था “आगे रखेंगे भईया। पहले रखते ही थे। … आप फिकर न करें, कभी-काल ऐसा हो ही जाता है।”
कभी काल की बात नहीं है। प्रेमसागर रुक्ष यात्रा के लिये अपनी तैयारी में ढील दे दिये हैं। रास्ते में लोगों ने इतना सुविधा दी है कि वह सब की तैयारी पास रखना बोझ लगता होगा उन्हें।
साढ़े पांच बजे प्रेमसागर फिर निकल लिये हैं – होशियारपुर से चिंतपूर्णी की ओर। सवेरे छ बजे चाय मिल गयी है किसी दुकान पर। आगे बढ़ लिये हैं!

इक्कीस तारीख की यात्रा में एक नदी थी, सूखी हुई। लोग थे पर व्यवहार में उतने ऊष्ण नहीं थे जितना पहले वाले – “भईया पहले के लोग देखते थे तो जै श्री राम या जै माता दी बोलते थे। यहां वाले देखते भी हैं तो अपने काम में लगे रहते हैं। बस रास्ता में दो लोग मिले थे। एक ऑटो वाला बोला कि कुछ दूर वह लिफ्ट दे सकता है। हम बोले की नहीं भईया, हम पदयात्रा में हैं। बाद में एक सरदार जी भी अपनी बोलेरो रोक कर मुझे बैठने को बोले। … एक और आदमी रोक कर बोला कि बाबा मेरा हाथ देख कर भविष्य बताईये। हां, एक मुसलमान ने कहा कि वह सूगर से बहुत परेशान है। मैंने उन्हेंं बेल, अमरूद, जामुन और नीम का पत्ता सुबह सुबह खाने को कहा। यह भी कहा कि आज शाम शूगर चेक करा कर कल सवेरे से तीन दिन प्रयोग कर फिर शूगर चेक करायें। फायदा होने पर डेली खाना चालू कीजिये। इससे बहुत से लोगों को फायदा हुआ है।”

जगह जगह गन्ना का रस निकल रहा था और उससे गुड़ बनाया जा रहा था। “मैने एक जगह बीस रुपये का गुड़ लिया। ढेर सारा दे दिया। एक किलो भर होगा। वैसे पचास रुपया किलो बेचते हैं। … भईया गुड़ यात्रा के लिये बहुत बढ़िया होता है। खा कर पानी पीने से भूख मिट जाती है और शरीर को ताकत मिल जाती है।”
“कल गर्मी भी बहुत थी भईया। पसीना रुक ही नहीं रहा था।” – प्रेमसागर के यह कहने पर मुझे लगा कि मैं अपने वातानुकूलित कमरे से उन्हें नसीहत दे रहा हूं। मेरे घर के बाहर तापक्रम 46 डिग्री तक गया था। प्रेमसागर को भी 43 डिग्री तक मिला होगा। वातानुकूलन के 25 डिग्री में बैठ ज्ञान बांटना आसान है। 43 डिग्री में पदयात्रा करना, वह भी 44किमी की; दिन भर में – लाख दर्जे कठिन है।
पर चल क्यों रहे हैं प्रेमसागर?
“आगे कहीं चाय के लिये रुकूंगा तो अदरक लूंगा भईया। मुंह में रखने को। काहे कि गला कुछ फंस रहा है।” कह कर आज, बाईस मई की सुबह अपनी बात समाप्त की।
हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:
प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
दिन – 83 कुल किलोमीटर – 2760 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे। |
Sir Prem Sagar ji this time in adverse weather conditions m yatra kar rahe h hot weather h kuchh paresani continuous chal rahi Ma unhe shakti de
LikeLiked by 1 person
इसी लिए मैंने उन्हें हिमाचल की यात्रा संपन्न करने को कहा है. वहां तापक्रम कम होगा. अगले तीन दिन बेहतर होने चाहिएं.
LikeLike