आज की बारिश के बाद सांप निकलेंगे। वैसे इतने सालों में यह तो पता चल गया है कि अधिकांशत: वे भले कोबरा जैसे दीखते हों पर हैं चूहे खाने वाले असाढ़िया सांप ही। फिर भी सावधान तो रहना ही होता है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आज की बारिश के बाद सांप निकलेंगे। वैसे इतने सालों में यह तो पता चल गया है कि अधिकांशत: वे भले कोबरा जैसे दीखते हों पर हैं चूहे खाने वाले असाढ़िया सांप ही। फिर भी सावधान तो रहना ही होता है।