भारत बहुत बड़ा है। मैं तो भारत की दशा उसकी समग्रता में नहीं सोच पाता। मेरे सामने तो यह गांव भर है। पर यहां भी, लगभग उसी अनुपात में, मुझे आस्ट्रेलिया, फिलिपींस और सब-सहारा वाले अफ्रीका के दर्शन हो जाते हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
भारत बहुत बड़ा है। मैं तो भारत की दशा उसकी समग्रता में नहीं सोच पाता। मेरे सामने तो यह गांव भर है। पर यहां भी, लगभग उसी अनुपात में, मुझे आस्ट्रेलिया, फिलिपींस और सब-सहारा वाले अफ्रीका के दर्शन हो जाते हैं।