झूल गये हैं कड़े प्रसाद

पूरे कोरोना काल में बिना प्रोटोकॉल के अपना नमकीन फेरी का काम अच्छे से कर गये कड़े प्रसाद। उन्हें कोई कष्ट नहीं हुआ। किसी व्याधि ने नहीं पकड़ा। उनपर उस दौरान मैने लिखा भी था

बाकी; यह बाबा विश्वनाथ का इलाका है। कड़े प्रसाद जैसे अपने गणों का भी वे ही ख्याल रखते हैं। लोग कहते हैं कि कोरोना बहुत निर्मम बीमारी है। पर कड़े प्रसाद तो मस्त दिखे। अपनी अज्ञानता में मस्त! 😦

पर अब सन 2024 में इस बार बहुत दिनों के बाद आये तो वे नमकीन तो अपनी मॉपेड पर खूब लादे हुये थे, लेकिन खुद दुबले हो गये थे। पहचाने नहीं जा रहे थे। बहुत लजाते हुये बोले – “तन्नीक हार्ट में तकलीफ रही। बनारस में वैदिक अस्पताल में भरती रहे। बीएचऊ में कुलि जांच भई। बाई पास नाहीं भवा। दवाई दई क छोड़ि दिहेन।”

दिल का दौरा जरूर पड़ा रहा होगा। अन्यथा कड़े प्रसाद यूं बनारस के अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाते। उसके बाद अब दवाइयों का अनुशासन पालन कर रहे हैं। भोजन में भी परहेज हैं। उनसे चलने फिरने और एक्टिव रहने को कहा गया है।

डाक्टरों के चक्कर लगाने के बाद भी कड़े प्रसाद इतना कड़ा अनुशासन मानने वाले जीव नहीं थे। पर असल में दिल के दौरे के दौरान उन्हें यमराज का भैंसा जरूर दिख गया होगा। यमराज का भैंसा अच्छे अच्छों का लाइफ स्टाइल बदल देता है।

उन्होने दवाइयों की कीमत का रोना जरूर रोया – “बहुत महंग दवाई हईं साहेब। एक हफ्ता में दुई हजार लगि जा थ।” और उन्होने यह भी बताया कि दवायें लम्बी चलेंगी। मैने उन्हें हिदायत दी – मंहगी दवाई समझ कर आगे बंद मत कर देना। जैसा डाक्टर कहते हैं, वह सब मानना। अपना दिमाग मत लगाना और जेब की नहीं, सेहत की सुनना।”

बहरहाल कड़े प्रसाद ठीक लग रहे हैं। वजन कम होने पर बेहतर लगते हैं। कपड़े भी उनके पहले से ज्यादा साफ दिखे यद्यपि कपड़े बहुत ढीले होने पर भी उन्होने नये कपड़े सिलवाये नहीं हैं। पैरों में हवाई चप्पल वही घिसी हुई है और सिर पर साफा भी पुराने गमछे का ही है।

बहुत दिनों बाद आये थे तो मेरी पत्नीजी ने उनसे नमकीन के पैकेट ज्यादा ही खरीद लिये। हमेशा की तरह इस बार भी पैसा देने लेने में झिक झिक हुई। कड़े प्रसाद को हमेशा की तरह कड़ी हिदायत दी गई कि अगर वे अपना यूपीआई एड्रेस नहीं बनवायेंगे या अपने खाते में पैसा नहीं लेंगे तो उनसे नमकीन नहीं खरीदी जायेगी। पर मुझे नहीं लगता कि कड़े प्रसाद खाते को ऑपरेट करने की जहमत उठायेंगे। वे जिस युग के विरल जीव हैं, वह युग परिवर्तन को बड़ी कठिनाई से स्वीकार करता है। और कुछ हद तक ठीक भी है। वे और उन जैसे लोग न होते तो मुझे लिखने के लिये पात्र कहां से मिलते।

कड़े प्रसाद स्वस्थ रहें और नियमित नमकीन लाते रहें, यही कामना है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “झूल गये हैं कड़े प्रसाद

  1. अब तो नमकीन पर GST भी कम कर दिया है तो शायद कड़े प्रसाद जी Paytm शुरू कर दें।

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  2. अब जब सरकार ने नमकीन पर जीएसटी कम कर दिया है तो शायद कड़े प्रसाद जी भी Paytm शुरू कर दें। भारत की आधी अर्थव्यवस्था तो शायद कैश लेन-देन पर ही चल रही है।

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