कड़े प्रसाद बोले – कोरोना त कतऊँ नाहीं देखातबा साहेब

मैंने कुछ दिन पहले लिखा था कि कड़े प्रसाद परेशानी में हैं। उनके भाई भोला को फिर ब्रेन स्ट्रोक हुआ है और वे आईसीयू में रहे थे। पर कड़े प्रसाद फिर पेड़ा बेचने निकले थे। जान और जहान दोनो की फिक्र में लगे थे कड़े प्रसाद।

आज कड़े प्रसाद घर पर हाजिर थे। अपनी पुरानी मॉपेड पर। उसी तरह सिर पर गमछा लपेटे। नमकीन और पेड़ा लिये थे अपने बक्से में। घरेलू सहायिका ने आ कर मुझे कमरे में बताया तो मैं अपना लैपटॉप बंद कर मास्क लगा बाहर निकला उनसे मिलने के लिये।

कड़े जी गांव गांव, घर घर नमकीन-पेड़ा बेचने के लिये घूम रहे थे। पर कोई मास्क नहीं पहना था उन्होने। कोई गमछा भी मुंह और नाक पर नहीं रखा था। मैंने आत्मीय जोर दे कर कहा – “क्या कड़े प्रसाद?! कोरोना से त्राहि त्राहि मची है, आपका भाई ब्रेन स्ट्रॉक से अस्पताल में है। घर के एक ही मुख्य कमाऊ आप हो और बिना मास्क टहल रहे हो?!”

“कोरोना कहां बा साहेब?! हमके त कतऊ नाहीं देखान। केऊ नाहीं देखान बीमार। ऊ त पहिले रहा। छ महीना पहिले। अब कतऊँ नाहीं बा। (कोरोना कहां है साहेब?! मुझे तो कहीं नहीं दिखा। कोई कोरोना से बीमार नजर नहीं आया। वह तो पहले था। छ महीना पहले। अब कहीं नहीं है।)” – कड़े प्रसाद ने उत्तर दिया।

मुझे उनको समझाने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। बताया कि इस समय पूरे दो परिवार का दारोमदार उन्ही पर है। अगर उन्हे कोरोना हो गया तो अस्पताल में कहीं कोई बिस्तर भी नहीं मिलेगा। पैसा खर्च करने पर भी नहीं। उनका शरीर वैसे भी किसी हलवाई की तरह स्थूल है। स्वास्थ्य बहुत बढ़िया नहीं दिखता। उनको तो बहुत सावधानी बरतनी चाहिये। … जहां कोरोना के मामले 400 दिन में डबल हो रहे थे, अब चार दिन में डबल हो रहे हैं। तेजी से बढ़ रहा है कोरोना।

कड़े प्रसाद

लगा तो कि कड़े प्रसाद को समझ आया। बोले कि आज ही जा कर मास्क खरीद लेंगे और लगायेंगे भी। वैसे मुझे नहीं लगता कि कड़े प्रसाद बहुत कड़ाई से किसी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करेंगे। अगर उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया तो घूम घूम कर खाने का सामान बेचने वाले कड़े प्रसाद सूपर स्प्रेडर साबित होंगे।

उन्होने बताया कि उनके बड़े भाई अस्पताल से छूट कर घर आ गये हैं। “खर्चा बहुत होई गवा साहेब। कतऊँ से कोनो मदद नाहीं मिली। (खर्चा बहुत हो गया साहेब। कहीं से कोई मदद नहीं मिली।)”

मैंने उनसे आयुष्मान कार्ड की पूछी। वे उस नाम से आभिज्ञता जताये। फिर मुझसे बोले – “आपई बनवाई द साहेब। (आपही बनवा दीजिये साहेब आयुष्मान कार्ड।)”

मैं जागरूकता के बारे में कड़े प्रसाद को बहुत होशियार मानता था। पर वे जीरो बटा सन्नाटा निकले। इस बार तो उनसे नमकीन खरीद लिया। पर आगे अगर बिना कोरोना प्रोटोकोल के आये तो उन्हें घर में आने देने का जोखिम नहीं लूंगा।

बाकी; यह बाबा विश्वनाथ का इलाका है। कड़े प्रसाद जैसे अपने गणों का भी वे ही ख्याल रखते हैं। लोग कहते हैं कि कोरोना बहुत निर्मम बीमारी है। पर कड़े प्रसाद तो मस्त दिखे। अपनी अज्ञानता में मस्त! 😦


Advertisement

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

3 thoughts on “कड़े प्रसाद बोले – कोरोना त कतऊँ नाहीं देखातबा साहेब

  1. कुछ तथाकथित विचारधारा के लोग, सदा की तरह, तंत्र को गरिया रहे हैं. उन्हें यह पोस्ट पढ़नी चाहिए. भारत की जनसंख्या और कड़े प्रसाद जैसे लोगों के कारण कोई भी तंत्र फट पड़ेगा. भोपाल में (अन्यत्र भी) फिर से लॉकडाउन लग गया है. पर, इससे पहले पिछले छः आठ महीने से यहाँ की ९५ प्रतिशत जनता कड़े प्रसाद ही बनी हुई थी. तो यह तो होना ही था. अब लोग भले ही अपनी कंप्यूटिंग सुविधा से तंत्र को गरियाते रहें!

    Liked by 1 person

  2. “यह बाबा विश्वनाथ का इलाका है। कड़े प्रसाद जैसे अपने गणों का भी वे ही ख्याल रखते हैं।” – Anything Else You Need ::)) .

    Liked by 1 person

  3. यही तो ऐसे लोग रोज़मर्रा के कामों में चलतापुर्जा तो होते हैं परन्तु दुनिया की अन्य जानकारियों से अनभिज्ञ।

    Liked by 1 person

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: