जबलपुर, धुंआधार, नर्मदा, गाक्कड़ भर्ता

5 अक्तूबर 21, रात्रि –

प्रेम सागर जो महीने भर पहले मात्र यात्रा की दूरी गिन रहे थे, अब लोगों से मिलने में और उनके साथ चित्र खिंचवाने में भी रस ले रहे हैं। … उत्तरोत्तर निखार आ रहा है प्रेमसागर के व्यक्तित्व में। कांवर यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ेगी, प्रेमसागर का व्यक्तित्व उत्तरोत्तर संतृप्त होता जायेगा। संतृप्त और परिपक्व। यात्रा व्यक्ति में बहुत कुछ धनात्मक परिवर्तन लाती है।

पूरी पिकनिक हो गयी जबलपुर की। प्रेमसागर ने भेड़ाघाट देखा, धुंआधार। “पानी गिर रहा था जैसे भाप बन रहा हो।” उसके चित्र भेजे हैं। चित्र जिनमें नर्मदा हैं, दूर प्रपात है, सफेद पत्थर की घाटी है और प्रेमसागर के साथ हैं आशीष जी – वन विभाग के उनके जबलपुर घूमने के साथी। नर्मदा का सौंदर्य देखते ही बनता है। पानी इतना साफ है और दृश्य इतना मोहक कि मानो नर्मदा खुद उसमें में स्नान करना चाहें। यहां वे निश्चय ही अपने पर मुग्ध होती होंगी।

ग्वारीघाट के विस्तृत पाट से नीचे गिर कर भेड़ाघाट/धुंआधार के संकरे स्थान से निकलते हुये नर्मदा का वेग स्वाभाविक ही – एक वेंच्यूरी कें संकरे पन से गुजरते हुये – शांत हो जाता है। अरुण सांकृत्यायन जी ने बताया कि वह स्थान बहुत संकरा है। जगह को बंदर कूद कहते हैं – अर्थात बंदर भी पार कर जाए। जब वह संकरा क्षेत्र समाप्त होता है, जल का वेग बढ़ने लगता है।

प्रपात के बाद नर्मदा

नर्मदा के भेड़ाघाट के रास्ते में पड़ते बैलेंसिंग रॉक को देख कर अचम्भित थे प्रेमसागर। “उसका आधार मुश्किल से छ इंच का होगा। इतनी बड़ी चट्टान फिर भी स्थिर है और कितने ही भूडोल आये, वह स्थिर ही रही।” उस चट्टान के सामने बैठने की एक पत्थर की बेंच है। उसपर बैठ कर और उसके आसपास से कई प्रकार से फोटो खींची हैं प्रेमसागर की आशीष जी ने।

उस चट्टान के सामने बैठने की एक पत्थर की बेंच है। उसपर बैठ कर और उसके आसपास से कई प्रकार से फोटो खींची हैं प्रेमसागर की आशीष जी ने।

इसी प्रकार की चट्टानें और भी स्थानों पर हो सकती हैं। एक टिप्पणी इस सन्दर्भ में नीरज जी की मिली है। मैं उसका स्क्रीन शॉट ही संजो लेता हूं –


“वहीं पास में रानी दुर्गावती का किला है। वह भी एक ही पत्थर का बना है। कहते हैं वहां से एक सुरंग मण्डला तक जाती है। सरकार ने उसे बंद कर दिया है। वहीं आसपास शारदा मंदिर है। एक मंदिर के पास तो शूटिंग हो रही थी। मैं मंदिर का चित्र लेना चाहता था तो शूटिंग कर रहे अगरवाल जी ने – जो भजन गा रहे थे, मेरे साथ फोटो भी खिंचाया।”

“शूटिंग कर रहे अगरवाल जी ने – जो भजन गा रहे थे, मेरे साथ फोटो भी खिंचाया।”

द्वादश ज्योतिर्लिंग के कांवर यात्री के साथ फिल्म शूट करते लोगों ने भी चित्र खिंचाया! प्रेम सागर जो महीने भर पहले मात्र यात्रा की दूरी गिन रहे थे, अब लोगों से मिलने में और उनके साथ चित्र खिंचवाने में भी रस ले रहे हैं। … उत्तरोत्तर निखार आ रहा है प्रेमसागर के व्यक्तित्व में। कांवर यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ेगी, प्रेमसागर का व्यक्तित्व उत्तरोत्तर संतृप्त होता जायेगा। संतृप्त और परिपक्व। यात्रा व्यक्ति में बहुत कुछ धनात्मक परिवर्तन लाती है।

सवेरे भ्रमण पर निकलने के पहले प्रेमसागर ने राज्य वन अनुसंधान संथान की नर्सरी में पौधे भी लगाये। वहां उन्हें महिला वन अधिकरियों से मिलने का अवसर भी मिला।

प्रेमसागर ने राज्य वन अनुसंधान संथान की नर्सरी में पौधे भी लगाये। वहां उन्हें महिला वन अधिकरियों से मिलने का अवसर भी मिला।

उनके साथ भ्रमण करने वाले वन विभाग के लोगों ने गाक्कड़-भर्ता (बाटी-चोखा का मध्यभारतीय नाम और रूप) बनाया खाया। प्रेम सागर ने कहा कि गाक्कड़ का चित्र उन्होने मुझे भेजा है, पर वह शायद सेण्ड करने से छूट गया। गाक्कड़ या गाकड़ बनाने का जिक्र वेगड़ जी ने अपने संस्मरणों में कई बार किया है। उनको पढ़ने पर लगता था कि जिसे गाकड़ बनाना नहीं आता, वह यूं पैदल यात्रा कर ही नहें सकता। इसलिये मैंने पहले ही प्रेम सागर से पूछ रखा था कि उन्हें बाटी-चोखा बनाना आता है या नहीं। और एक कुशल कांवरिया की तरह उन्होने कहा था कि वह उन्हें अच्छे से आता है। बिना परेशन हुये सरलता से वे बना लेते हैं। इस समय तो किसी और ने बना कर उन्हें खिलाया होगा, पर कांवर यात्रा बहुत लम्बी है। कभी न कभी उन्हे अपनी पाक कला अपने लिये प्रयोग करनी ही होगी।

अमरकंटक से जबलपुर की यात्रा के अंत में प्रेमसागर को अच्छा विश्राम, अच्छा अनुभव मिला दो दिनों में। कल सवेरे वे निकल लेंगे आगे की अपनी कांवर यात्रा पर। अगला पड़ाव यहां से साठ-बासठ किमी दूर गोटेगांव है। दूरी अधिक तय करनी है, इसलिये वे सवेरे चार-साढ़े चार बजे निकल लेंगे। … कल नया दिन होगा; नये अनुभव!

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द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

5 thoughts on “जबलपुर, धुंआधार, नर्मदा, गाक्कड़ भर्ता

  1. नर्मदा का दृश्य अद्भुत है। मुझे तो लगता है कि इस यात्रा में डुबकी लगाकर ज्ञानदत्त प्रेममय हो रहे हैं और प्रेमसागर ज्ञानमय।

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    1. दोनों शिव देख रहे हैं! जैसे persona प्रेम सागर का बदल रहा है वैसे मेरा भी! 😊

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  2. दिनेश कुमार शुक्ल, फेसबुक पेज पर –
    प्रेमसागर जी वेगड़ जी की देहरी को भी जबलपुर में प्रणाम करें तो अच्छा लगेगा।
    —-
    जी वह बहुत अच्छा रहता। पर वे तो वहां से निकल लिए हैं।

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  3. बदनाम शायर ट्विटर पर-

    मैंने यूं पढ़ा – पाण्डेयजी उत्तरोत्तर माया और सांसारिकता मे बधते जा रहे, पहले वह बस मंज़िल को सोच रहे थे ईश्वर का ध्यान था अब वह फोटो खींचना, सबसे मिलना, पौधे लगाना आदि आदि इत्यादि मे रमते जा रहे । सब माया है । विष्णु की माया से बचना मुश्किल है वह तो रमते जा रहे ।
    — Badnam Shayar (@BadnamShayar1) October 6, 2021

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    —–
    धन्यवाद शायर जी। मैं प्रेम सागर के प्रति जो भाव रखता हूं वह आपके भाव से भिन्न है। मुझे नहीं लगता कि शिव रुक्ष देव हैं। वे सरलता में सौंदर्यबोध करने वाले देवाधिदेव हैं। बाटी चोखा में रस लेने वाले…
    हाँ, प्रेम सागर अहम में न धँसे – उसके प्रति एक सतर्क भाव मेरे मन में है।

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  4. अरुण सांकृत्यायन, ट्विटर पर –

    सादर – धुवांधार के तुरंत बाद नर्मदा जी संगमरमर चट्टानों के बहुत ही सकरे मार्ग से बहती है। एक जगह इतनी सकरी है जिसे बन्दर कूद कहते हैं। लेकिन गहराई ४००-५०० फीट होने के कारण नदी का पानी बिलकुल स्थिर है और रूके हुए पानी की महक है। एक किलोमीटर आगे नदी का प्रवाह पुनः दिखाई पड़ता है।
    — अरुण सांकृत्यायन (@ArunSankritya) October 6, 2021

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    —–
    धन्यवाद अरुण जी। आपके कहे अनुसार मैने उपयुक्त संशोधन कर दिया है। निश्चय ही डिजिटल ट्रेवलॉग की सीमाएँ हैं। मैं प्रत्यक्ष दर्शन नहीं कर रहा स्थान का। 😊

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