जब आज से छ साल पहले गांव में शिफ्ट हुआ तो सबसे ज्यादा नसीहत मुझे साइकिल ले कर नेशनल हाईवे पर न जाने की दी गयी। यह नसीहत मुझे आज भी यदा कदा मिलती है। कई बार वे लोग भी देते हैं जो खुद बड़े हाहाकारी तरीके से अपना दुपहिया वाहन चलाते हैं। पर मैंने सलाह को; जितनी गम्भीरता से लेना चाहिये था; उतनी गम्भीरता से लिया। अपने आप को हाईवे से दूर ग्रामीण सड़कों और पगडण्डियों भर में सीमित नहीं किया। हाईवे से जुड़े दोनो ओर के दस किलोमीटर के हाट-बाजार-गांव भी जा कर देखे और वहां जाता रहता हूं।

मैंने अपने को यह माना है कि मैं साइकिल पर नहीं, पैदल चल रहा हूं। तेज चाल से चलता पैदल व्यक्ति। साइकिल औसत 8 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलाता हूँ और वही चाल पैदल तेज चलने वाले की होती है।
पैदल आदमी सड़क के दांयी ओर चलता है जिससे वह सामने आ रहे वाहन से अपने को बचा सके। उसके पीछे से आ रहे वाहन द्वारा ठुक जाने का खतरा भी लगभग खत्म हो जाता है। सो मैं अपनी साइकिल दांयी ओर ही चलाने का प्रयास करता हूं। हाईवे पहले चार लेन की थी। अब वह अपग्रेड हो कर छ लेन की हो गयी है। वाहन और तेज चलने लग गये हैं। पर लाभ यह हुआ है कि दोनो ओर सर्विस लेन बन गयी है। अब मैं हाईवे पर साइकिल चलाने का जोखिम नहीं लेता। सर्विस लेन में ही चलता हूं पर उसमें भी दांई सर्विस लेन के दांये किनारे पर। कभी कभी कोई साइकिल सवार मुझे उल्टी दिशा से आते देख और कगरियाने का प्रयास भी करता है। वह (अपनी ओर से) और बांये सरकने लगता है। यह उसके सेफ चलने और मेरे सेफ चलने का सेफ-द्वंद्व है! 🙂

सेफ चलने का मंत्र है – दांये चलो, सेफ चलो।
मैंने एक साइकिल हेलमेट भी खरीदा था, पर वह इस्तेमाल नहीं हुआ। जब अपने को पैदल चलने वाला मानता हूं तो पैदल की तरह साइकिल चलाता हूं। और पदयात्री हेलमेट नहीं लगाता! 🙂
उस रोज दांयी ओर चलते हुये इस पोस्ट के लिये चित्र ले रहा था तो दूर दो महिलायें आती दिखीं। आपस में बात कर रही थीं। जब पास आयीं तो पता चला कि आपसी सौहार्दपूर्ण बात नहीं हो रही थी। कलह कर रही थीं। कजिया भी चल रहा था और चलना भी हो रहा था। “रंड़वा, भतार-क-काटी, मुंहझौंसी, तोके घिनहियां परईं” टाइप शब्द झर रहे थे। वे आगे बढ़ गयीं तो मुझे उनका चित्र लेने का ध्यान आया। अपनी साइकिल रोक कर सीट पर बैठे बैठे अपनी कमर घुमा कर उनका चित्र लिया।

अगर मैं सड़क के दांये चलने का अनुशासन न मानता होता तो यह भग्वदचर्चा सुनने का रस भी न मिलता। … सो चलना सेफ रखना है और एंज्वाय करना है तो दांये चलो! 😆
दक्षिणपंथी…सब देखते हुये…धार के विपरीत
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हा हा! यह अच्छा कहा। और वास्तव में विचारधारा में भी मैं अपने को दांये वाला ही मानता हूं! दांया और सेफ! 😀
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