दिहाड़ी मजदूर


सवेरे साढ़े नौ बजे दफ्तर के लिये निकलता हूं तो फाफामऊ जाने वाली रेल लाइन के पास अण्डरब्रिज के समीप सौ-डेढ़ सौ दिहाड़ी मजदूर इंतजार करते दीखते हैं। यह दृष्य बहुत से शहरों में लेबर चौराहों या मुख्य सड़क के आसपास दीखता है। राज-मिस्त्री, बिजली का काम जानने वाले, घर की पुताई करने वाले याContinue reading “दिहाड़ी मजदूर”

धान की किस्में और उनसे रोगों की चिकित्सा


श्री पंकज अवधिया जी की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है यह। आज वे विभिन्न प्रकार के धान की किस्मों के औषधीय गुणों के विषय में एक विहंगम दृष्टि प्रस्तुत कर रहे हैं। आप उनके पहले के लेख पंकज अवधिया वर्ग सर्च के द्वारा इस ब्लॉग पर देख सकते हैं। आप कौन – सा चावल खाते हैंContinue reading “धान की किस्में और उनसे रोगों की चिकित्सा”

अलसाई धूप में गेंहू बीनना


कुछ मूलभूत काम करने का अभ्यास छूट गया है। रोटी बेलना नहीं आता – या आता था; अब नहीं आता। धूमिल की कविता भर में पढ़ा है – “ एक आदमी है जो रोटी बेलता है “ । खाना आता है, बेलना नहीं आता। जरूरत पड़े तो आ जायेगा। पर ईश्वर करें कि रोटी सेContinue reading “अलसाई धूप में गेंहू बीनना”

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