हिन्दी ब्लॉगिंग क्या साहित्य का ऑफशूट है?


बहुत सी समस्यायें इस सोच के कारण हैं कि हिन्दी ब्लॉगिंग साहित्य का ऑफशूट है। जो व्यक्ति लम्बे समय से साहित्य साधना करते रहे हैं – वे लेखन पर अपना वर्चस्व मानते हैं। दूसरा वर्चस्व मानने वाले पत्रकार लोग हैं। पहले पहल, शायद आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के युग में पत्रकारिता भी साहित्य का ऑफशूटContinue reading “हिन्दी ब्लॉगिंग क्या साहित्य का ऑफशूट है?”

हिन्दी ब्लॉगिंग क्या साहित्य का ऑफशूट है?


बहुत सी समस्यायें इस सोच के कारण हैं कि हिन्दी ब्लॉगिंग साहित्य का ऑफशूट है। जो व्यक्ति लम्बे समय से साहित्य साधना करते रहे हैं – वे लेखन पर अपना वर्चस्व मानते हैं। दूसरा वर्चस्व मानने वाले पत्रकार लोग हैं। पहले पहल, शायद आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के युग में पत्रकारिता भी साहित्य का ऑफशूटContinue reading “हिन्दी ब्लॉगिंग क्या साहित्य का ऑफशूट है?”

’अनपढ़’ रीता पाण्डेय


और रीता ने अगला टाइपिंग असाइनमेण्ट मुझे बहुत जल्दी दे दिया। सोमवार को दोपहर दफ्तर में मुझे फोन कर बताया कि एक नयी पोस्ट लिख दी है। घर आ कर टाइप कर देना। अगले दिन मैने टाइप किया। फिर बुधवार पंकज अवधिया जी का दिन था। लिहाजा आज वह पारिवारिक पोस्ट प्रस्तुत कर रहा हूं।Continue reading “’अनपढ़’ रीता पाण्डेय”

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