भारतीय मनीषियों व दार्शनिकों ने धन पर बहुत सकारात्मक नहीं लिखा है. ‘माया महा ठगिनी’ है – यही अवधारणा प्रधान रही है. धन को साधना में अवरोध माना गया है. स्वामी विवेकानन्द ने तो अपने गुरु के साथ उनके बिस्तर के नीचे पैसे रख कर उनके रिस्पांस की परीक्षा ली थी. धन के दैवीय होनेContinue reading “धन पर श्री अरविन्द”
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टाटा डकैत तो नहीं है
अज़दक जी बहुत बढ़िया लिखते हैं. हमें तो लिखने का एक महीने का अनुभव है, सो उनकी टक्कर का लिखने की कोई गलतफ़हमी नहीं है. लेकिन सोचने में फर्क जरूर है. अपने चिठ्ठे में अजदक ने सिंगूर में टाटा के प्लान्ट के लिये हो रहे जमीन के अधिग्रहण को बदनीयती, धांधली, “जनता का पैसा लुटाContinue reading “टाटा डकैत तो नहीं है”
शेयर मार्केट धड़ाम
शेयर बाजार धड़ाम होता है, चढने के लिये. असली चीज आशावाद है.
