[टेंगर, और यह कि सोंइस (मीठे जल की डॉल्फिन) रोज दिखती है यहां।] एक नाव पर वे दो थे – बाद में पता चला नाम था लल्लन और राकेश। लल्लन के हाथ में पतवार थी और राकेश जाल डाल रहा था गंगा नदी में। हम – मैं और मेरी पत्नीजी – गंगा किनारे खड़े देखContinue reading “टेंगर”
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बिठूर
बिठूर के घाट के दूसरी तरफ गंगा जी के किनारे महर्षि वाल्मीकि रहते थे। जहां राम ने सीता जी को वनवास दिया था और जहां लव-कुश का जन्म हुआ। यहीं पर ब्रह्मा जी का घाट है, जहां मिथक है कि ब्रह्माजी की खड़ाऊं रखी है। तीर्थ यात्री गंगाजी में स्नान कर ब्रह्मा जी का पूजनContinue reading “बिठूर”
झुलाओ मेरी सजनी, श्याम पड़े पलना
अक्तूबर ३०’२०१२: दो स्त्रियां यह गीत गाते हुये एक अंगोछे में कुछ (बाल कृष्ण का प्रतीक) झुला रही थीं गंगा किनारे। कोहरा बहुत था। इक्का दुक्का लोग थे स्नान करने वाले गंगा जी के शिवकुटी घाट पर। उनका यह झुलाना और गायन बहुत अच्छा लगा मुझे। पर यह समझ नहीं आया कि ऐसा कर क्योंContinue reading “झुलाओ मेरी सजनी, श्याम पड़े पलना”
