जिप्सियाना स्वभाव को ले कर जब मैने पोस्ट लिखी तो बरबस पॉउलो कोएल्हो की पुस्तक द अलकेमिस्ट की याद हो आयी। (अगर आपने पुस्तक न पढ़ी हो तो लिंक से अंग्रेजी में पुस्तक सार पढ़ें।) उसका भी नायक गड़रिया है। घुमन्तु। अपने स्वप्न को खोजता हुआ मिश्र के पिरामिड तक की यात्रा करता है। वहContinue reading “अपने अपने इन्द्रप्रस्थ”
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इस्लामिक एपॉस्टसी की अवधारणायें
कुछ दिन पहले तेजी बच्चन जी के निधन का समाचार मिला। इसको याद कर मुझे इण्टरनेट पर किसी जवाहरा सैदुल्ला के इलाहाबाद के संस्मरणों वाला एक लेख स्मरण हो आया; जिसमें तेजी बच्चन, फिराक गोरखपुरी, अमिताभ के जन्मदिन पर दी गयी पार्टी आदि का जिक्र था। उसे मैने कई महीने पहले पढ़ा था। इण्टरनेट परContinue reading “इस्लामिक एपॉस्टसी की अवधारणायें”
उदग्र हिंदुत्व – उदात्त हिंदुत्व
मैं सत्तर के दशक में पिलानी में कुछ महीने आर.एस.एस. की शाखा में गया था। शुरुआत इस बात से हुई कि वहां जाने से रैगिंग से कुछ निजात मिलेगी। पर मैने देखा कि वहां अपने तरह की रिजीडिटी है। मेरा हनीमून बहुत जल्दी समाप्त हो गया। उसका घाटा यह हुआ कि आर.एस.एस. से जुड़े अनेकContinue reading “उदग्र हिंदुत्व – उदात्त हिंदुत्व”
