उदग्र हिंदुत्व – उदात्त हिंदुत्व


मैं सत्तर के दशक में पिलानी में कुछ महीने आर.एस.एस. की शाखा में गया था। शुरुआत इस बात से हुई कि वहां जाने से रैगिंग से कुछ निजात मिलेगी। पर मैने देखा कि वहां अपने तरह की रिजीडिटी है। मेरा हनीमून बहुत जल्दी समाप्त हो गया। उसका घाटा यह हुआ कि आर.एस.एस. से जुड़े अनेकContinue reading “उदग्र हिंदुत्व – उदात्त हिंदुत्व”

मुद्राष्टाध्यायी नामक ग्रंथ रचने की गुहार


शिव कुमार मिश्र ने एसएमएस कर नये पर सशक्त शब्द – मुद्राभिषेक से परिचय कराया है. रुद्राष्टाध्यायी के आधार पर रुद्राभिषेक किया जाता है. भगवान शिव का शुक्लयजुर्वेदीय पूजन है यह. पर मुद्राभिषेक क्या है? उन्होने लिखा है कि अमुक सज्जन थे. हर वर्ष रुद्राभिषेक कराते थे श्रावण मास में. एक बार यह अनुष्ठान करनेContinue reading “मुद्राष्टाध्यायी नामक ग्रंथ रचने की गुहार”

‘बना रहे बनारस’ – ये लो यूनुस लास्ट सुट्टा!


कल टिप्पणी में यूनुस छैलाइ गये. “बना रहे बनारस” का केवल झांकी दिखाना उन्हे एक सुट्टे के बाद बीड़ी छीन लेने जैसा लगा. अब पूरे 188 पेज की किताब पेश करना तो फुरसतिया सुकुल जैसे ही कर सकते हैं! फिर भी मैने अपनी पत्नी से विमर्श किया. वे बनारस की हैं. उनका विचार था किContinue reading “‘बना रहे बनारस’ – ये लो यूनुस लास्ट सुट्टा!”

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