दारागंज का पण्डा


गंगा के शिवकुटी के तट पर बहती धारा में वह अधेड़ जलकुम्भी उखाड़-उखाड़ कर बहा रहा था। घुटनो के ऊपर तक पानी में था और नेकर भर पहने था। जलकुम्भी बहा कर कहता था – जा, दारागंज जा! बीच बीच में नारा लगाता था – बोल धड़ाधड़ राधे राधे! बोल मथुरा बृन्दाबन बिहारी धाम कीContinue reading “दारागंज का पण्डा”

ऑक्सफोर्ड स्कॉलर नकुल


यह श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथकी अतिथि पोस्ट है: हाल ही प्राप्त एक खुश खबरी चिट्ठा जगत के सभी मित्रों को देना चाहता हूँ। मेरे २३ वर्षीय बेटे नकुल कृष्ण ने ( जो २००७ में भारत के पाँच रोड्स स्कॉलर में से एक था) , अपनी बी ए की पढ़ाई पूरी कर ली है। वह ऑक्स्फ़र्ड विश्वविद्यालयContinue reading “ऑक्सफोर्ड स्कॉलर नकुल”

नेट पर फैला साइबरित्य


शहर बने। जब गांव शहर की ओर चले तो सबर्ब (Urban>Suburban) बने। अब लोग सबर्ब से साइबर्ब (Suburb>Cyburb) की ओर बढ़ रहे हैं। की-बोर्ड और माउस से सम्प्रेषण हो जा रहा है। नई विधा पुख्ता हो रही है।   बन्धुवर, यह गांव/शहर या सबर्ब का युग नहीं, साइबर्ब (Cyburb) का युग है। आप यहां जोContinue reading “नेट पर फैला साइबरित्य”

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