गर आतिश-ए-दोज़ख बर रू-ए-जमीं अस्त। हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त! स्वात घाटी का नक्शा और चित्र, गूगल अर्थ से। फोटो लॉस एंजेलेस टाइम्स से। यह पूरी पोस्ट चुरातत्वीय है। मेरा योगदान केवल भावना अभिव्यक्ति का है। आतिश-ए-दोज़ख से (मैं समझता हूं) अर्थ होता है नर्क की आग। बाकी मीन-मेख-मतलब आप निकालें।
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यशस्वी भव! नकुल!
श्री सिसिल रोड्स की प्रतिमा, विकीपेडिया से। सम्भव है आपने सिसिल जॉन रोड्स (१८५३-१९०२) के बारे में पढ़ रखा हो। वे किम्बर्ले, दक्षिण अफ्रीका के हीरा व्यापारी थे और रोडेशिया (जिम्बाब्वे) नामक देश उन्ही का स्थापित है। शादी न करने वाले श्री रोड्स के नाम पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कॉमनवेल्थ देशों और अमेरिका के विद्यार्थियोंContinue reading “यशस्वी भव! नकुल!”
अगले जनम मोहे कीजौ दरोगा
मेरी पत्नी जी की सरकारी नौकरी विषयक पोस्ट पर डा. मनोज मिश्र जी ने महाकवि चच्चा जी की अस्सी साल पुरानी पंक्तियां प्रस्तुत कीं टिप्पणी में – देश बरे की बुताय पिया – हरषाय हिया तुम होहु दरोगा। (नायिका कहती है; देश जल कर राख हो जाये या बुझे; मेरा हृदय तो प्रियतम तब हर्षितContinue reading “अगले जनम मोहे कीजौ दरोगा”
