अर्जुन प्रसाद पटेल


कछार में सप्ताहान्त तनाव दूर करने निरुद्देश्य घूमते मुझे दिखा कि मेरे तट की ओर गंगाजी काफी कटान कर रही हैं, पर दूर कई द्वीप उग आये हैं जिनपर लोग खेती कर रहे हैं। उन द्वीपों पर टहलते हुये जाया नहीं जा सकता। लिहाजा खेती करते लोगों को देखना इस साल नहीं हो पा रहाContinue reading “अर्जुन प्रसाद पटेल”

कछार पर कब्जा


भाद्रपद बीत गया। कुआर के शुरू में बारिश झमाझम हो रही है। अषाढ़-सावन-भादौं की कमी को पूरा कर रहे हैं बादल। पर गंगामाई कभी उतरती हैं, कभी चढ़ती हैं। कभी टापू दीखने लगते हैं, कभी जलमग्न हो जाते हैं। दिवाली के बाद कछार में सब्जी की खेती करने वाले तैयारी करने लगे हैं। पहले कदमContinue reading “कछार पर कब्जा”

उद्यम और श्रम


उद्यमैनेव सिध्यन्ति कार्याणि, न मनोरथै। नहि सुप्तस्य सिंहस्य: प्रविशन्ति मुखे मृगा:॥   और बहुधा हम उद्यम को श्रम समझ लेते हैं। श्रम पर अधिपत्य लाल झण्डा जताता है। लाल झण्डा माने अकार्यकुशलता पर प्रीमियम। उससे कार्य सिद्ध नहीं होते। मैने सवाई माधोपुर में एक बन्द सीमेण्ट कम्पनी के रिवाइवल का यत्न देखा है। बात शुरू हुईContinue reading “उद्यम और श्रम”

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