एस्केलेटर के पास खड़े होकर लोगों को देखना एक नॉन-बौद्धिक कौतूहल पैदा करता है। बौद्धिक कौतूहल वह जो आपको रचनात्मकता की दिशा में सहायता करे। नॉन-बौद्धिक कौतूहल वह जो आपको पोस्ट ठेलने को प्रेरित करे। विशुद्ध पोस्ट ठेलक खुजली जेनरेट हुई बाजार में उस एस्केलेटर पर होने वाली गतिविधियां देख कर। सुना है इलाहाबाद महानगरContinue reading “एस्केलेटर चढ़ने की झिझक”
Category Archives: हास्य
शुगर फ्री सच की दरकार
सच बोलो; मीठा बोलो। बहुत सच बोला जाना लगा है। उदात्त सोच के लोग हैं। सच ठेले दे रहे हैं। वही सच दे रहे हैं जो उन्हें प्रिय हो। खूब मीठे की सरिता बह रही है। करुणा भी है तो मधु युक्त। डायबिटीज बढ़ती जा रही है देश में। शुगर फ्री ज्यादा बुद्धिवादी सच ठिलाContinue reading “शुगर फ्री सच की दरकार”
टिपेरतंत्र के चारण
टिपेरतंत्र का चारण मैं! देश में प्रजातंत्र है। हिन्दी ब्लॉगिंग में टिपेरतंत्र! वोट की कीमत है। टिप्पणी की कीमत है। टिप्पणी भिक्षुक टिप्पणी नहीं पाता – दाता की जै करता है, पर उपेक्षित रहता है। प्रजातंत्र में महत्वपूर्ण हैं चाटुकार और चारण। वन्दीजन। नेता के आजू और बाजू रहते हैं चारण और वन्दीजन। नेता स्वयंContinue reading “टिपेरतंत्र के चारण”
