उत्कृष्ट का शत्रु


मैने पढ़ा था – Good is the enemy of excellent. अच्छा, उत्कृष्ट का शत्रु है। फर्ज करो; मेरी भाषा बहुत अच्छी नहीं है, सम्प्रेषण अच्छा है (और यह सम्भव है)। सामाजिकता मुझे आती है। मैं पोस्ट लिखता हूं – ठीक ठाक। मुझे कमेण्ट मिलते हैं। मैं फूल जाता हूं। और जोश में लिखता हूं। जोशContinue reading “उत्कृष्ट का शत्रु”

टिप्पणीयन


सब के प्रति समान दुर्भावना के साथ (खुशवन्त सिंह का कबाड़ा पंच लाइन) – By Anonymous on 6:12 AM बाबा समीरानन्द ji ne Anup ji ki to baja baja diya aur aab agla number apka hi hai. ———– हिन्दी भाषियों के लिये अनुवाद – बेनामी जी की टिप्पणी मसिजीवी के ब्लॉग पर –बाबा समीरानन्द जीContinue reading “टिप्पणीयन”

रीडर्स डाइजेस्ट के बहाने बातचीत


कई दशकों पुराने रीडर्स डाइजेस्ट के अंक पड़े हैं मेरे पास। अभी भी बहुत आकर्षण है इस पत्रिका का। कुछ दिन पहले इसका नया कलेक्टर्स एडीशन आया था। पचहत्तर रुपये का। उसे खरीदने को पैसे निकालते कोई कष्ट नहीं हुआ। यह पत्रिका सन १९२२ के फरवरी महीने (८८ साल पहले) से निकल रही है। मैंContinue reading “रीडर्स डाइजेस्ट के बहाने बातचीत”

Design a site like this with WordPress.com
Get started