प्रेमसागर नर्मदा किनारे चल रहे हैं और मेरा काम उनका यात्रा मार्ग निहारना हो गया है। नक्शे में देखता हूं, नर्मदा सीधे नहीं चल रहीं, घुमावदार बल खाती चलती हैं। यही नर्मदा का सौंदर्य है जिसका बखान वेगड़ सौंदर्य की नदी नर्मदा में करते हैं? पुस्तक के प्रारम्भ में अमृतलाल वेगड़ जी कहते हैं –Continue reading “कौन है इठलाती, बल खाती, नाचती नदी – नर्मदा या गंगा?”
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नीलगाय
<<< नीलगाय >>> गंगा किनारे का इलाका नीलगाय के कारण बंजर होता जा रहा है। यह एक ऐसा कथ्य है, जो ऑफ्ट-रिपीटेड है और इसमें कोई मौलिकता बची नहीं। कोई ऐसी सक्सेस स्टोरी भी नहीं सुनने में आई कि, एक पाइलट प्रॉजेक्ट के रूप में ही सही, नीलगाय आतंक का कोई तोड़ निकल पाया हो।Continue reading “नीलगाय”
कोहरे में गंगा और मोटरबोट
किनारा नहीं दिखता था। इस किनारे इक्का दुक्का लोग भर थे स्नान करते। कोई नाव भी नहीं। कोई बंसी लगा मछली पकड़ते हुये भी नहीं था। पक्षी भी कम ही दिखे। अचानक प्रयाग की ओर से एक खाली मोटरबोट आती दिखी। दूर से ही उसकी आवाज आ रही थी। कोहरे को चीरती आ रही थीContinue reading “कोहरे में गंगा और मोटरबोट”
