मैं उन्हे गंगा किनारे उथले पानी में रुकी पूजा सामग्री से सामान बीनने वाला समझता था। स्केवेंजर – Scavenger. मैं गलती पर था। कई सुबह गंगा किनारे सैर के दौरान देखता हूं उन्हे एक सोटा हाथ में लिये ऊंचे स्वर में राम राम बोलते अकेले गंगा के उथले पानी में धीरे धीरे चल कर पन्नियों,Continue reading “चेत राम”
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जात हई, कछार। जात हई गंगामाई!
जात हई, कछार। जात हई गंगामाई। जा रहा हूं कछार। जा रहा हूं गंगामाई! आज स्थानान्तरण पर जाने के पहले अन्तिम दिन था सवेरे गंगा किनारे जाने का। रात में निकलूंगा चौरी चौरा एक्स्प्रेस से गोरखपुर के लिये। अकेला ही सैर पर गया था – पत्नीजी घर के काम में व्यस्त थीं। कछार वैसे हीContinue reading “जात हई, कछार। जात हई गंगामाई!”
कछार में कल्लू की खेती की प्लानिंग
आज रविवार को कछार में गंगा किनारे घूम रहा था। एक छोटा लड़का पास आ कर बोला – अंकल जी, वो बुला रहे हैं। देखा तो कल्लू था। रेत में थाला खोद रहा था। दूर से ही बोला – खेती शुरू कर दी है। थोड़ी देर से ही है, पर पूरी मेहनत से है। कल्लूContinue reading “कछार में कल्लू की खेती की प्लानिंग”
